बेटों और बेटियों में फर्क ना कीजिये,

बेटों और बेटियों में फर्क ना कीजिये,

दोनों को हक़ घर में, बराबरी का दीजिये।
लुटाईये दौलत उन पर, संस्कार-संस्कृति की,
बेटी को ससुराल, बेटे को घर संसार दीजिये।
बेटी करे देखभाल, अपने सास -ससुर की,
बेटों के हिस्से, माँ- बाप की देखभाल दीजिये।
रिश्तों का महत्व परिवार में, बच्चों को सिखायें,
अलग घर में रहने की, उन्हें सीख न दीजिए।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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