आज शाम घर आँगन को, दीपों से सजायें,

सृष्टि के प्रारंभ पर्व सनातनी नववर्ष के अवसर पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ 

आज शाम घर आँगन को, दीपों से सजायें,

घर द्वार आँगन गली को, रंगोली से सजायें।
सृष्टि के प्रारम्भ का, अवसर सुखद आया है,
नव संवत्सर का महापर्व, ख़ुशियों से सजायें।

पीत पत्र झर चुके, अंकुरित नव पात हैं,
प्रकृति मुस्करा रही, प्रफुल्लित उल्लास है।
फसलें आने को आतुर, है प्रसन्न किसान,
तितली भौंरों को भी, मकरंद की आस है।

डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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