भाषा का महत्व
वाणी से बनते है संबंधवाणी से बिगड़ते है संबंध।
वाणी से स्वर सजते है
वाणी से गाते गीत हम।
वाणी से रुक जाते है
बड़े बड़े युध्द आदि आदि।
वाणी से झूम उठते है
पशु पक्षी और वृक्ष आदि।।
हिंदी और संस्कृत भाषा का
उदय हुआ प्राकृतिक भाषा से।
वण वण से ही बनते है
देखो बड़े बड़े ग्रंथ आदि।
जिनको पढ़कर बनते है ज्ञानी
और ज्ञान सभी को देते है।
भाषा का अनुसरण करके ही
बन जाते है वो पंडित।।
प्राचीन काल में भी ऐसा था
और वर्तमान में भी ऐसा है।
अंतर बस ये आ गया है
की उत्पन्न हो गई भाषाएँ।
जिससे हर भाषा के पंडित है
जो सबको ज्ञान देते है।
इसलिए तो आज तक
जिंदा है अपनी संस्कृति।।
अच्छा है या बुरा है
बस समझ का अंतर है।
जो समझ गये वो खुश है
जो न समझे वो दुखी है।
यही भेद विज्ञान का यारों
बड़ा ही अंतर अब है।
सफलता की कुंजी भी
इसी पर आधारित है।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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