नूतन वर्ष संवत्सर २०८१ मंगलमय आप सभी के लिए हो।
मंगलमय नव वर्ष रहे
रजत रबी रंजित फसलों से,घर - आँगन है भरा - भरा।
सूर्य - धरा की समीपता से,
मलिन बदन भी हरा - हरा।
मंजरियों से लदे आम्र में,
नव कोंपल उत्कर्ष रहे।
मंगलमय नव वर्ष रहे।।
वर्षा - जाड़ा से उत्तम ऋतु,
चैत्र मास में आई है।
दीन-दुखी का तरुवर नीचे,
भी जीवन सुखदाई है।
सकल सृष्टि के सचराचर में,
कहीं न कलुष अमर्ष रहे।
मंगलमय नव वर्ष रहे।।
मातृ शक्तियाँ पूजी जातीं,
घर - घर होता आराधन।
सभी सुखी हों,सभी निरोगी,
सभी हाथ समुचित साधन।
विक्रम संवत बीस एक्यासी,
हर दिल में बन हर्ष रहे।
मंगलमय नव वर्ष रहे।।
डॉ अवधेश कुमार अवध
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