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आझ तक बात जे हिरदा में नुकौले रहली।

आझ तक बात जे हिरदा में नुकौले रहली।

डॉ रामकृष्ण मिश्र

आझ तक बात जे हिरदा में नुकौले रहली।
तोर किरिए न कहूँ केहु से कहिओ कहली।।
कहिओ -जखनी उठल जुआँर समुन्नर अइसन।
कठ करेजू बनल मुकाम बचौले रहली।।
तू तो गंगा हलऽ जमुना सरसती तिरबेनी।
पुन्न् के धाम निअन माथ नेबौले रहली।।
गाँव जेवार में गौमाम के हल्ला उठलो।
ऊ घड़ी ढीठ निअन धार पजौले रहली।।
लोग़ तो चल देलन अनाथ जानके हमरा।
हम तोहर नाम के आखर भी सजौले रहली।।
सभे के हे मिलल बखरा में खुसी भर खचिआ
हम अपन पीर के पउती में जोगौले रहली।। 
**********रामकृष्ण
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