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ज्ञान और कर्म: सफलता की कुंजी

ज्ञान और कर्म: सफलता की कुंजी

ज्ञान दीपक समान, जो अंधकार मिटाए,
कर्म हवा समान, जो ज्योति जगाए।

ज्ञान बीज समान, जो बोया जाए मन में,
कर्म जल समान, जो उगाए जीवन में।

ज्ञान पथ दिखाए, जो मंजिल तक ले जाए,
कर्म डग भरने को प्रेरित करे, सफलता दिलाए।

ज्ञान और कर्म मिलकर, जीवन सफल बनाते,
ज्ञान दीपक जलाए, कर्म राह दिखाए।

सोचो गहराई से, समझो जीवन का सार,
ज्ञान और कर्म का मिलन, ही करेगा उद्धार।

कर्म के बिना ज्ञान व्यर्थ है, ज्ञान के बिना कर्म व्यर्थ है...

एक बार एक जंगल में आग लग गई, उसमें दो व्यक्ति फँस गए थे, उनमें से एक प्रज्ञाचक्षु तथा दूसरा पग से अपंग था, दोनों बहुत डर गए...

प्रज्ञाचक्षु ने आव देखा न ताव बस दौड़ना शुरू कर दिया, प्रज्ञाचक्षु को यह भी ख्याल नहीं था कि वो आग की तरफ ही दौड़ रहा हैं, अपंग उसे आवाज़ देता रहा पर प्रज्ञाचक्षु ने पलटकर जवाब तक नहीं दिया, अपंग आग को अपनी तरफ आती तो देख रहा था पर वह भाग नहीं सकता था, अंत में दोनों आग में जलकर राख हो गए...

प्रज्ञाचक्षु ने भागने का कर्म किया था पर उसे ज्ञान नहीं था कि किस तरफ भागना है, अपंग को ज्ञान था की किस तरफ भागना है पर वो भागने का कर्म नहीं कर सकता था...

अगर दोनों एक साथ रहते और प्रज्ञाचक्षु अपंग को अपने कंधे पर बिठा कर भागता तो दोनों की जान बच सकती थी, इसलिए किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए ज्ञान के संलग्न कर्म आवश्यक है...

. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार) 
 पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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