माता आदिशक्ति तू ही नारायणी ,

माता आदिशक्ति तू ही नारायणी ,

उमा सती सीता राधा हर नारी है ।
नवरात्रि के पावन पंचम रूप में ,
आज स्कंदमाता की ही बारी है ।।
कार्तिकेय ही कहलाते हैं स्कन्द ,
स्कन्द भगवान की तू महतारी है ।
तू ही तो कहलाती भक्तवत्सला ,
स्कन्दमाता नाम यह तुम्हारी है ।।
स्कन्दमाता नाम सुविख्यात यह ,
तुम्हारी महिमा जगत में भारी है ।
भक्तों की झोली हो वर से भरती ,
हर माताओं की माता न्यारी है ।।
तुझे सादर नमन है हे स्कन्दमाता ,
जीवन तेरे चरणों का आभारी है ।
तुम्हारी महिमा से विश्व है चलता ,
तेरी महिमा से सुंदर फुलवारी है।।
भूल चूक गलती तुम क्षमा करना ,
एक विनम्र विनती यह हमारी है ।
अरुण दिव्यांश मंशा पूरण कर दे ,
तुम्हारी महिमा जगत में प्यारी है।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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