हो सके तो कभी सपने में तनिक आओ
डॉ रामकृष्ण मिश्र
हो सके तो कभी सपने में तनिक आओनेहमय किस्से विगत के कुछ सुना पाऊँ। ।
समय की गतिमयी दीर्घा हो गयी विस्तृत
मनुजता के भाल अब भी नहीं हैं चन्द्रित।
है उपस्थित आज भी आलोक निर्मल जो
दृष्टि के वैविध्य में होता रहा निन्दित।।
चाहता हूँ अमलता को तो दिखा पाऊँ।।
पथ वही है, वही धरती और जीवन क्रम।
तथापि कुछ ही क्षणों में उगाता है भ्रम।
स्वयं को अपवाद समझा करे जब कोई
और सज्जा में लगा दे व्यर्थ सारा श्रम।।
असंशय की परिधि मे रिश्ते निभा पाऊँ।।
विकलता ही वेदना का सृजन करती है
असहयोगी भाव सारे वहन करती है।
संचयन का सुख भले अच्छा लगे लेकिन
दूर तक आघात कितना सघन करती है।।
काश! संधित विकृत पल में कुछ बचा पाऊँ।।
**********
रामकृष्ण
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com