Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

आँख चुराये चलते ऐसे क्यों जाने पहचाने लोग।

आँख चुराये चलते ऐसे क्यों जाने पहचाने लोग।

डॉ रामकृष्ण मिश्र

आँख चुराये चलते ऐसे क्यों जाने पहचाने लोग।
अपनी करनी पर पछताते क्यों जाने पहचाने लोग।।
इच्छाओं की ढूह लिए बाजार बनाए खुद क़ो हैं।
अपनी बातों को सहलाते क्यों जाने पहचाने लोग।।
उनका दुख पहाड़ सा है सब को बतलाते चलते हैं ।
दुखियों को सुखिया बतलाते क्यों जाने पहचाने लोग।।
सबकी रात स्याह सी होती कुछ की हो जाती रंगीन।
दिन को कुछ काला करते हैं क्यों जाने पहचाने लोग।।
सोने सी नीयत को जिसने शीशे में मढ़ छिपा दिया।
लोहे के तमगे चमकाते क्यों जाने पहचाने लोग।।


भीड़ गुजरती जिन राहों से शूल उगाना मना नहीं
हँसी-हँसी में सच बतलाते क्यों जाने पहचाने लोगों।।
रामकृष्ण
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ