चैत्र नववर्ष

चैत्र नववर्ष

चैत्र माह शुक्ल प्रतिपदा ,
नव संवत्सर औ नववर्ष ।
आदिशक्ति शैलपुत्री रूप ,
नववर्ष लाईं आज सहर्ष ।।
प्रथम रूप है शैलपुत्री का ,
आदिशक्ति माॅं ली हैं रूप ।
पार्वती हेमावती कहलातीं ,
जिनके दिव्य रूप अनूप ।।
जय जय हे माता शैलपुत्री ,
सबका करो माॅं कल्याण ।
बढ़े धरा पे आततायी बहुत ,
भक्तों का करो तू परित्राण ।।
हम भक्तों का तेरा सहारा ,
तेरी महिमा बहुत है अपार ।
दुष्ट अधम आततायियों से ,
आज दुःखी बहुत है संसार ।।
तू माॅं सनातनियों की माता ,
आज सनातनी लाई नववर्ष ।
कृपा करो तुम निज पुत्रों पे ,
छाए रहे जीवन में नव उत्कर्ष ।।
शैलपुत्री माता तुझे नमन है ,
कृपा बरसाओ भक्तों पे नित ।
दुष्टों पर भी घूमे तेरी महिमा ,
उज्ज्वल हो उनका भी चरित ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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