आपका भी कल वही अंजाम होगा

आपका भी कल वही अंजाम होगा

देख बिखरे पंख, बिखरी हड्डियाँ, छींटे लहू के।
गर न सुधरे, आपका भी कल वही अंजाम होगा।।
बिल्लियों का धर्म ही, खग पर झपट्टा मारना है।
जो न चेते, मूर्खता का मौत ही परिणाम होगा।।
देखकर हत्या स्वयं-से ही खगों का, गर न संभले।
प्राण जायेंगे तथा सम्मान का भी नाश होगा।।
कीजिये मत बिल्लियों की अर्चना-अभ्यर्थना; जो,
अब न जागे, रक्तरंजित आपका विश्वास होगा।।
बिल्लियों को सब्जियाँ भाती नहीं; यह ढोंग है।
बिल्लियों की भूख होती तुष्ट, केवल गोश्त से।।
कीजिए रक्षा परों की, मुक्त हो उड़ लीजिए।
दूर ही रखिये स्वयं को बिल्लियों-से दोस्त से।।
डॉ कुमारी रश्मि प्रियदर्शनी
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