जैन मुनियों का प्रभाव

जैन मुनियों का प्रभाव

धर्म सधना को निकला हूँ
इसलिए चले जा रहा हूँ।
और जो दूरियाँ है उन्हें
कम किये जा रहा हूँ।
मिलेगा साथ अगर सबका
तो मंजिलों को पा लूंगा।
और अखंड भारत का परचम
दुनिया में फहरा दूंगा।।


बड़ा पवित्र है देश हमारा
जिसकी संस्कृति न्यारी है।
अनेकता में एकता जो देखती
व्यां कर नही सकते शब्दो में।
लाखों है देवी देवता और
उनको मनाने वाले लोग।
इसलिए तो भारत को कहते
हम सभी धर्म-निरपेक्ष।।


जैन मुनियों से ज्यादा क्या
पैदल कोई और चलते है।
इसलिए वो प्राकृतिक सुंदरता का
वर्णन अपनी वाणी से करते है।
और अपनी त्याग तपस्या से
भक्तो को द्रव्य दर्शन करवाते है।
और लोगों के दिलो में सच्ची
आस्था धर्म की जगाते है।।


जय जिनेंद्रसंजय जैन "बीना" मुंबई
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