कसमसाहट

कसमसाहट

कभी कभी जब आप
छोड़ देते हैं
खुद को अकेला
बिस्तर की बाहों में
तन्हां
विचार रहित
उस समय भी
मन विचरण करता है
किसी और दुनिया में
और करता है बातें
देखता है सपने
विचरण करता है
किसी अनजानी दुनिया में
और लोक परलोक में
खोजता है उत्तर
करता है खोज
नए रहस्य
कुछ सवालों
और जवाबों के भी जवाब।
अक्सर
खुल जाती है
मेरी नींद
कुछ कसमसाहट का अहसास
व्याकुलता
छटपटाहट
जो देखा
सोचा
अनुभव किया
उसे लिपिबद्ध करने की
अर्ध चेतना की स्थिति
न सोने देती
न जागने।
अन्धकार में
हाथ बढाकर
पास रखी डायरी में
कुछ आडी तिरछी लाइनें
दिलाती अहसास
सुबह होने पर
लिखा था कुछ
देखा था
और भोगा था
अलग सा
उस रात
बिस्तर की बाहों में
अकेला रहकर।


अ कीर्तिवर्धन

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