धुरी हो तुम
कैसे लिखूँ तुम्हें किउपहास उड़ाती लेखनी
चली बड़ा उनको लिखने
जो है तुम्हारी जननी।
फिर भी तुम्हें लिख रही हूँ
कि समा जाओ पन्नों पर
पर लेखनी हर बार
रह जाती है अधूरी।
कभी शब्द कम
कभी स्याह खत्म
हर दिन लिखती तुमको
कैसे करूँ विवरण।
पूरे शब्दकोश खंगाल दिए
कर लिए पूरा अध्ययन
नित नए रूप में दिखती तुम
कैसे करूँ तुम्हारा चित्रण।
शब्दों से परे तुम
हो अथाह अनंत,
कितना छोटा शब्द बना
पर संपूर्ण ब्रह्मांड सना।
तुम तो धरा की धुरी हो
तुम तो बस पूरी हो।
नवजात शिशु की पहली बोली,
कभी थपकन कभी लोरी,
लो आज फिर रह गई अधूरी........
तुम पर मेरी लेखनी
तुम को समर्पण
तुझको अर्पण
अधूरा सा मेरा सृजन
माँ
सविता सिंह मीरा
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com