हे मां तुझे प्रणाम
नेह सिंधु अथाह मधुरिम,पुलक हुलस भाव सरस ।
उमड़ घुमड़ लहर लहर,
रिमझिम रिमझिम बरस ।
स्नेहिल मोहक उत्संग प्रभा,
अपनत्व अर्णव मंगल धाम ।।
हे मां तुझे प्रणाम ।।
प्रति पल संतति व्याकुलता,
तरस तरस दृग वृष्टि।
तृषित तप्त उर पीर,
तपन हर हृदय पुष्टि ।
धर मुस्कान आभा मंडल,
सुसंस्कार मंडन अविराम ।।
हे मां तुझे प्रणाम ।।
नीरस शुष्क दग्ध तन मन ,
दर्शन कर आनंद तृप्ति ।
शीतल सजल छाया कंग
अंतरतम आलोक युक्ति ।
प्रेरणा सेतु उत्सविक ज्योत,
उत्साह उमंग जोश सुकाम ।
हे मां तुझे प्रणाम ।।
पुनीत दर्श परम सौभाग्य,
घट मंदिर सदैव पावन।
पेय माध्य मृदु सरस सुधा ,
मानस खुशियां बिछावन ।
आशीष वर रज रज धन्य,
परिवेश छवि ललित ललाम ।
हे मां तुझे प्रणाम ।।
महेन्द्र कुमार
(स्वरचित मौलिक रचना)
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