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किससे मतलब है..

किससे मतलब है..

रोशनी में रहकर भी
उजाले को ढूँढ़ रहे है।
जिंदगी में भी अंधेरा था
तो उसी को खोजते रहे।
न अंधेरा कम हो रहा था
न उजाला बढ़ रहा था।
जिंदगी का हर लम्हा
अलग ही चल रहा था।।


जिंदगी को जीने का
अंदाज मानों अलग था।
निकलता हुआ वक्त भी
अलग कहानी कह रहा था।
न कोई अपना बना था
न कोई पराया हुआ था।
अकेला ही तो आया था
अकेला ही अब जाऊंगा।।


बहुत किस्से सुने थे
दुनियां वालो के मैंने।
देख सका दुनियां को
जन्म मानव का ले के।
न ही दुनियां अलग थी
और न ही इसके लोग।
वहाँ पर भी वो ही था
यहां पर भी वो ही है।।


सीधे सच्चे इंसानों का
अब रहना आसान नही।
भरा पड़ा है चारों तरफ
बेईमानों का फौज जहाँ।
सबके सब अवसरवादी है
मौका मिले डस लेते है।
रिश्तों से क्या लेना देना
बस पैसों से मतलब है..
बस पैसो से मतलब है।।


जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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