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आज कल हर कोई राजनेता बनना चाहता है।

आज कल हर कोई राजनेता बनना चाहता है।

शिक्षा, गुण हो न हो सब का चहेता बनना चाहता है ।।
सबसे सहज है, कुछ चमचे जुटालो।
चेहरे पर मुंछ और दाढ़ी बढ़ालो।।
जो जितना अपशब्दों का शब्दकोष बढ़ाएगा।
वह उतना बड़ा और जुझारू,
राजनेता कहलाएगा।।
शरीर पर सादा कुर्ता, गमछा और पजामा चाहिए,
पब्लिक के सामने मुस्कुरा कर,
दोनों हाथ जोड़ने की कला,
उसे पारंगत जैसे आना चाहिए।।
और एक कला झुठा आश्वासन,
देना भरपूर सिखो।
सबके साथ इस देश का,
दुर्भाग्य भी अपने हाथ से लिखो।।
राजनेता बनने के लिए ,
कोई उच्च शिक्षा जरुरी नहीं है।
घुमा फिरा कर कुछ भाषण देलो,
यही महारथ सबसे सही है।।
विरोधी नेता को,
जितना भला बुरा कह सकते हो।
पब्लिक के निगाहों में,
उतना ही बड़ा राजनेता रह सकते हो।।
अपने जाति वालों में,
जितना उठना बैठना बढ़ाओगे।
कम अवधि में ही,
उतना सफल राजनेता बन जाओगे।।
इन सब टोटकों से अगर,
एक बार राजगद्दी मिल गयी।
समझ लो कि तुम्हारे जीवन में,
लक्ष्मी जी का दरवाजा खुल गयी।।
पांच साल राज करो,
लक्ष्मी से घर को भरो।
अगली पीढ़ी में भी घर में,
कोई राजनेता तैयार करो।।
हर पांच साल पर देश में,
मतदान का दौर आना है।
पब्लिक की गति चाहे जैसे बनी रहे,
राजनेताओं को सुख से दिन बिताना है।। जय प्रकाश कुवंर
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