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"माँ - शब्दों से परे"

"माँ - शब्दों से परे"

तेरे प्यार का सागर गहरा,
तेरी ममता की ठंडी छांव,
तेरे आँचल की खुशबू अनमोल,
तेरे चरणों का स्पर्श अमूल्य।

हर सुख-दुःख में तू साथ,
हर मुश्किल में तू सहारा,
हर सपने को तू उड़ान देती,
हर उम्मीद को तू रोशन करती।

माँ, तू ही मेरी दुनिया,
तू ही मेरा जीवन,
तेरे बिना अधूरा हूँ मैं,
तू ही मेरी शान।

माँ कैसे लिखूं तुझे तो,
शब्दों में कहां समाती है,
कैसे करूं परिभाषित तुझे,
तू कहां समझ में आती है।

मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,
समस्त मातृशक्ति को,
आपके जीवन में सदैव खुशियाँ रहें,
स्वस्थ और दीर्घायु रहें आप।

तुझे नमन करता हूँ, माँ,
तेरे चरणों में शीश झुकाता हूँ,
तेरे प्यार का सदैव आभारी रहूँगा,
तेरी ऋण कभी चुका नहीं पाऊँगा।

. स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित 
 पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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