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चरन नाद खूंटा

चरन नाद खूंटा

पगहा घुघुर घांटी
औंधे पड़ल रहल जहवां बा
टूटल खटिया के पाटी
दुआरा उदास पड़ल बा देखनी
देखनी गोशाला में
नइखे दिखात
भुअरी भैंसिया के सानी पानी
गइया के गोबरा ना दिखे
संझिया में ना दिखे दियारा बाती
अँगना में के घिनसिर टूटल
टूटल बा असगनिया के टाटी
खपड़ा नरिया मथहर उलटल
बरामदा के दियट रोवे
ढ़िबरी के देख उदासी
लालटेन ,चिमनी भी रोवे
खंड़िया में इनरा पर देखनी
देखे खातिर बहुते दिखल
तुलसी चौउरा पर बहुते बा उदासी
जोड़तोड़ के रसिया के जोड़नी
भरे खातिर ठंढ़ा ठंढ़ा पानी
टूट गइल अध बीच इनरा में
ना मिलल पीए के पानी
इ सपना जब देखनी दिन में
भइल बड़का हैरानी
रामा,खुरपी हंसुआ ,पहिले लिहनी
निपट अनारी जैसे कटेला
कइनी खूब घांस कटाई ,और छटाई
देहिया में अब जोर कहाँ बा
बबुआ खातिर बचवा खातिर
जिनगी दिहनि बिताई
देखी बबुआ का अब करिहें
परदेसवा में अब हमरा से
ज्यादा दिन रहल ना जाई।
अरविन्द कुमार पाठक"निष्काम"
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