दिव्य रश्मि ने मनाया अपना ११ वा स्थापना दिवस एवं सावरकर जी की १४१ वी जयंती |

दिव्य रश्मि ने मनाया अपना ११ वा स्थापना दिवस एवं सावरकर जी की १४१ वी जयंती |

दिव्य रश्मि के कार्यालय चाँद पुर बेला में आज अपराह्न ४ बजे वीर सावरकर जी के १४१ वी जयंती और दिव्य रश्मि का ११ वा स्थापना दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम की अध्यक्षता पत्रिका के वरिष्ट पत्रकार और उपसम्पादक जितेन्द्र सिन्हा ने की | श्री सिन्हा ने बताया कि प्रत्येक वर्ष हम संस्था के द्वारा साहित्य के क्षेत्र में, पत्रकारिता के क्षेत्र में और सामाजिक कार्य के क्षेत्र में कार्यकरने वाले लोगो को सम्मानित करते रहें है और भव्य आयोजन करते हहै परन्तु इसबार चुनाव आचारसंहिता को देखते हुए अपने सदस्यों के साथ कार्यक्रम कर रहें है | पत्रिका के मार्गदर्शक श्री राधामोहन मिश्र माधव , श्री कमलेश पुण्यार्क ‘गुरूजी’, श्री मार्कण्डेय शारदेय ने पत्रिका की निरंतर प्रगति की कामना की |

अपने अध्यक्षीय भाषण में श्री जिंतेंद्र सिन्हा ने बतायाकि हिन्दू संस्कृति को पुनर्जीवित करने की वीर सावरकर की कोशिश अकेला नहीं था, लेकिन भारतीय मानस पर उन्होंने दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ा था, जिसका परिणाम आज भी दिख रहा है। वीर सावरकर के कार्य और गतिविधियां राष्ट्रवाद की परिभाषा को परिलक्षित करती है। लेकिन अपने लोग से ही वीर सावरकर को धोखा मिला था, फिर भी वे अडिग रहे। उनकी दृढ़ता और शक्ति को जानने की आवश्यकता है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में वीर सावरकर का अहम योगदान रहने के बावजूद भारत में उन्हें विलेन के तौर पर पेश किए जाते हैं। वीर सावरकर के संबंध में महात्मा गांधी ने कहा था कि “अंग्रेजों के खिलाफ उनकी रणनीति कुछ ज्यादा ही आक्रामक है।”

सम्पादक डॉ मिश्र ने बताया कि सावरकर राष्ट्रवाद के पर्यायवाची है उनके विचारो पर अगर व्यक्ति चले तो देशभक्ति उसके रग – रग में भर जाएगी | इस अवसर पर जमशेदपुर कके ब्यूरो श्रीनिवास सिंह ,डॉ रजीव रंजन सिंह , श्री सुबोध सिंह ‘राठौड़’ , श्री सुबोध कुमार सिंह, पप्पू सिंह, बिनोद कुमार सिंह, विकास कुमार सिंह, उमेश सिंह आदि उपस्थित थे सभा का संचालन डॉ राकेश दत्त मिश्र ने किया और धन्यवाद ज्ञापन श्री विकास कुमार सिंह ने किया |
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