रिश्ता , संबंध , नाता
जीवन का निबंध होता है रिश्ता ,रिश्ता लिखता जीवन का निबंध ।
रिश्ता मानव मानव को जोड़ता ,
मानव मानव का जुड़ता संबंध ।।
रिश्तों से वंचित कोई नहीं होता ,
पावन रिश्ता संबंध और ये नाता ।
चाचा चाची दादा दादी भाई बहन,
नाना नानी मामा मामी पिता माता ।।
रिश्ता मानव मानव की शृंखला ,
शृंखला एकैक मानव जुड़ जाता ।
शृंखला ही है मानव की मानवता ,
शृंखला से वंचित नहीं हैं विधाता ।।
जीवन हेतु रिश्ता होती शृंखला ,
शृंखला देता जीवन को विहान ।
करुणा एकता मानवता बरसाता ,
जीवन को रिश्ता बनाता महान ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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