खुशियों के प्रसून खिलते,अपनत्व के उपवन में
पुलकित प्रफुल्लित अंतरतम,प्रेम सुधा सरित प्रवाह ।
सुख समृद्धि शांति सद्भाव ,
उत्संग पटल नैतिकता अथाह ।
मान सम्मान मर्यादा परंपरा,
सुसंस्कार दीप्ति चितवन में ।
खुशियों के प्रसून खिलते, अपनत्व के उपवन में ।।
विपन्नता संकट स्थिति,
एकता रूप दिव्य कवच ।
अप्रतिम परस्पर दर्शन बिंब,
स्वप्न मालाएं स्पंदन सच ।
याचनाएं नित्य अवतरित,
त्रुटि भूल मन कर्म वचन में ।
खुशियों के प्रसून खिलते, अपनत्व के उपवन में ।।
नेह सिंधु अंतर शोभा,
आत्मिक स्पर्श प्रति पल ।
पटाक्षेप एकाकी भाव ,
कर कदम प्रतिरूप सकल ।
विलोप संकीर्ण मानसिकता,
सकारात्मकता दर्शन उन्नयन में ।
खुशियों के प्रसून खिलते, अपनत्व के उपवन में ।।
संघर्ष पथ सहभागी प्रयास,
सफलता संग उत्सविक आह्लाद ।
समस्या समाधान समग्र चिंतन,
वरिष्ठ आशीष उमंग प्रतिपाद ।
उत्तम चरित्र निर्माण कला,
संबंध महत्ता उन्मेष कनन जनन में ।
खुशियों के प्रसून खिलते, अपनत्व के उपवन में ।।
महेन्द्र कुमार
(स्वरचित मौलिक रचना)
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