सत्ता की खामोशी हमको, उत्तेजित कर जाती है,

सत्ता की खामोशी हमको, उत्तेजित कर जाती है,

न्याय तंत्र के रूई कान में, अहसास जता जाती है।
भीड़तंत्र की गहरी साज़िश, सदियों से सब देख रहे,
सेना पर पत्थरबाज़ी, बेबस राष्ट्र बता जाती है।


पत्थर मारने वालों का, हम मौन समर्थन करते हैं,
आतंकी पर हमला, मानवाधिकार बताया करते हैं।
सिया सुन्नी अहमदिया, सब आपस में लड़ते रहते,
राष्ट्रवाद के विरूद्ध सभी, संग संग वार किया करते हैं।


हिन्दुस्तान में हिन्दू का रहना, अब मुश्किल बना दिया,
सत्ताओं का मौन समर्थन, हिन्दू को दोयम बना दिया।
तुष्टिकरण का खेल चल रहा, देश जा रहा भाड में,
जाति धर्म के पैरोकारों ने, मुल्क को सराय बना दिया।

अ कीर्ति वर्द्धन
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