शादीशुदा बेटा बेटी वाले घर में,
अगर कोई मुसीबत का मारा है।गम खाकर खामोशी से जीने वाला,
बुढ़ा बेवस माई बाप ही बेचारा है ।।
अगर बेटी है तो ब्याहता होकर,
घर से अपने ससुराल चली जाती है।
माई बाप को देखने सुनने,
कुछ खास मौकों पर ही आती है।।
घर की बहु चाहती है,
घर और किचन में मेरा राज ह़ो ।
घर का बेटा चाहता है कि,
घर और पूरे परिवार पर मेरा राज हो।।
माई बाप को कुछ खाने की इच्छा हो तो,
टुकुर टुकुर मुंह ताकना है।
मिलेगा बहु की इच्छा से,
व्यर्थ ही अब कुछ ज्यादा भांपना है।।
सासु कहती है यह घर और पैसा,
मेरे सौहर की कमाई है।
इस बुढ़ापे में हमें इसी में जीना है,
यह सम्पत्ति कहीं से दहेज में नहींआई है।।
घर घर में बेटा बहु की,
अब चल रही मनमानी है ।
सब कुछ होते हुए भी माई बाप को,
बुढौती में जिल्लत की रोटी खानी है।।
ज्यादा हक जमाने पर,
बृद्धाश्रम चले जाना है।
वहीं पड़े पड़े अंतिम साँस गिनना है,
फिर लौट कर इस घर में नहीं आना है।। जय प्रकाश कुवंर
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