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खुश होकर बेच दिया है

खुश होकर बेच दिया  है

खुश होकर बेच दिया  है भविष्य को तुमने आज,
बैठे तुमको मिल गया फ्री में  पाँच किलो  अनाज.
आगे कभी भी मत कहना यह सरकार है  बेकार,
तुमने कभी नहीं समझा जरूरी है शिक्षा रोजगार.
क्षणिक लोभ लालच में बुद्धि विवेक हो गया गौण,
आगे अशिक्षित बेरोजगार रहोगे तब पूछेगा कौन.
                      गिरीन्द्र मोहन मिश्र.
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