शब्दों की चुभन
कही हम आप मिले थेवो दिन महिना याद नही।
तुम्हारे द्वारा कहे गये शब्द
मुझे वो आज तक याद है।
कमी मुझे नही थे तब
कमी अब भी नही मुझमें।
कमी तुम में थी तब
कमी अब भी तुम्ही में है।।
पढ़ा जरूर है तुमने
पर गुन तुम न सकी।
रट कर तो कोई भी
परीक्षाएं पास कर लेता।
मगर पढ़ाई का जीवन में
वो उपयोग नही कर पाते।
समझकर पढ़ाई की होती
तो आज काम वो आती।।
जमाना बदला है देखो
तो लोग भी बदले है।
परंतु अनुभव का तो
अब भी बोल वाला है।
इसलिए कम पढ़े-लिखे
शिखर पर आज भी बैठे।
और जो रट्टू तोता बने है
वो दर दर भटक रहे है।।
समय सबका बदलता है
जीवन सबका संभलता है।
उतार चढ़ाव आते जाते है
मगर अनुभव से संभलता है।
कहे शब्दो का भी तो
असर ज्यादा होता है।
इसलिए वो एक दिन
शिखर को छू लेता है।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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