जनक दुलारी प्यारी
--: भारतका एक ब्राह्मण.संजय कुमार मिश्र 'अणु'
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अचानक से
पड़ गया अकाल
न मेघ छाए न वर्षा हुई
कई-कई साल
पड़ने लगे अन्न के लाले
होती जा रही जान यम के हवाले
किसीको कुछ न आ रहा समझ
था खड़ा विकराल अबूझ यक्ष
विकट समस्या थी कई
लगी राजा को इसकी भनक
सुनकर कलेजे को लगा धक्
धिक्कार है ऐसे राजा का
जिसकी प्रजा मर रही हो नाहक
नहीं है बात ये आई गई
आलस्य को तेजा गया
सभासद को बुलावा भेजा गया
चालू हुआ मंथन का दौर सुरमई
एक ज्योतिषी ने बताया समाधान
जब हल जोतेंगे मेरे राजा महान
तभी बरसेगा बादल मिलेगा जल
तब भरेगा ताल,तलैया,पोखर चई
ज्योतिषी की बात स्वीकारा
सभासद लगाने लगे जयकारा
राजा ने की सारी तैयारी
पकड़ हल बैलों को ललकारा
धरती विहसी नयी रेखा खींच गई
अभी गये ही थे थोड़ी दूर
मेघ बरसने लगा भरपूर
हल की सीता से जन्मी बालिका
नाम पड़ा सीता जगत पालिका
सहित समाजा खुश हुए राजा
जनक नाम सार्थक भई
नौवीं तिथि जन्मी थी जानकी
जनक दुलारी प्यारी करूणानिधान की
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वलिदाद,अरवल(बिहार)८०४४०२.संपर्क -- 8340781217.
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