रिश्तों का प्राणांत——एक साज़िश

रिश्तों का प्राणांत——एक साज़िश

माँ को मम्मी, कहते पिता को डैड,
बुआ चाची आंटी होकर हो गई मैड।
मौसा मौसी मामा मामी सभी खो गये,
रिश्ते हो गये अंकल आंटी, रिश्तेदारी हो गई सैड।

फिर बदला है दौर, माँ के कर दिये पति अनेक,
ताऊ चाचा ख़त्म हो गये, पापा कहलाते अनेक।
बड़े पापा छोटे पापा, बड़ी मम्मी छोटी मम्मी,
रिश्तों का माधुर्य सिमटा, एक हो गए सभी अनेक।

डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
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