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भारत की 18 लोकसभाओं के चुनाव और उनका संक्षिप्त इतिहास, भाग 17

भारत की 18 लोकसभाओं के चुनाव और उनका संक्षिप्त इतिहास, भाग 17

डॉ राकेश कुमार आर्य

17वीं लोकसभा - 2019 - 2024

प्रधानमंत्री के रूप में श्री मोदी ने पहले दिन से जुटकर काम करना आरंभ किया। श्री मोदी ने चुनाव में मिली सफलता को इस भाव से लिया कि लोगों ने उन्हें काम करने के लिए नियुक्त किया है, समय गंवाने के लिए नहीं। इसीलिए उन्होंने अपनी सारी टीम को भी काम में जुट जाने की प्रेरणा दी। भाजपा ने 2014 को नये युग के शुभारंभ के रूप में प्रचारित - प्रसारित करना आरंभ किया। उनके सत्ता में आने के पश्चात अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि के केस की सुनवाई तेजी से आरंभ हुई। प्रशासनिक तंत्र में भी कुछ उत्साह जनक परिवर्तन देखे गए। सचमुच ऐसा लगा कि कुछ नया और ऊर्जावान घटित होने लगा है।भारतीय संविधान की सबसे आपत्तिजनक धारा 370 की ओर भी श्री नरेंद्र मोदी ने पहले दिन से ध्यान देना आरंभ किया। राजनीतिक नेतृत्व के द्वारा अब से पहले इस धारा की ओर देखना भी उचित नहीं माना जा रहा था। देश के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों ने यह मन बना लिया था कि इस धारा को वह हाथ भी नहीं लगाएंगे। जबकि मोदी जी ने इसे छेड़ने और संविधान से हटा देने का संकल्प लिया। जब उन्होंने जम्मू कश्मीर में पी0डी0पी0 की नेता महबूबा मुफ्ती के साथ मिलकर सरकार बनाई तो इसको लेकर उनके विरोधियों ने कई प्रकार की आलोचनाएं की । धारा 370 को हटाने की बात करने वाली भाजपा के द्वारा जब आतंकवादियों को संरक्षण देने वाली पी0डी0पी0 के साथ सत्ता में भागीदारी करते देखा तो कई लोगों को आश्चर्य भी हुआ। पर जब उचित समय आया तो श्री मोदी ने पी0डी0पी0 की नेता से गठबंधन तोड़कर धारा 370 को हटाने की कार्यवाही आरंभ कर दी। उनके द्वारा भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह को गृहमंत्री बनाया गया। उनके प्रथम कार्यकाल में धारा 370 को हटाने की भूमिका तैयार की गई।
दूसरे कार्यकाल में श्री मोदी ने गृह मंत्रालय का काम भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री अमित शाह को दिया। जिन्होंने 17वीं लोकसभा के आरंभ में ही ऐतिहासिक निर्णय लिया और धारा 370 को हटवा दिया।

घोटालों से मिली मुक्ति


श्री मोदी ने पिछली सरकारों की भ्रष्टाचार युक्त शैली से अलग हटकर देश को भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने की दिशा में ठोस पहल की। यही कारण रहा कि जहां पिछली सरकार 2G स्पेक्ट्रम ,कोयला घोटाला, कॉमनवेल्थ घोटाला ,आदर्श सोसाइटी घोटाला जैसे भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी रही, वहीं मोदी सरकार के किसी भी मंत्री पर इस प्रकार का कोई आरोप 17वीं लोकसभा के पूरे कार्यकाल में नहीं लगा। राजनीति और राजनीतिक लोगों पर जिस प्रकार जनसाधारण का भरोसा समाप्त हो रहा था, श्री मोदी के इस प्रकार के कठोर अनुशासन के चलते इस विश्वास को फिर से स्थापित करने में सहायता मिली। जब प्रधानमंत्री श्री मोदी ने 2014 में 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से अपना पहला भाषण दिया तो उन्होंने 'जन धन योजना' की घोषणा की । जिसके माध्यम से हर नागरिक को बैंकिंग सुविधा से जोड़ा गया। इस योजना के अंतर्गत 31.31 करोड लोगों को लाभ मिला।

एक राष्ट्र एक टैक्स

उन्होंने जीएसटी को लागू कर एक राष्ट्र एक टैक्स को स्थापित करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण निर्णय लिया। इस नई व्यवस्था के चलते सभी वस्तुओं के अलग-अलग टैक्स देने की व्यवस्था को समाप्त किया गया। पूरे देश में एक ही टैक्स व्यवस्था स्थापित कर दी गई। 1 जुलाई 2017 को मोदी सरकार ने आधी रात से इस नई व्यवस्था को पूरे देश में एक साथ लागू किया। इसी प्रकार 'उज्ज्वला योजना' के अंतर्गत मोदी सरकार ने उन लोगों को गैस कनेक्शन उपलब्ध कराया जिनके पास अभी तक यह कनेक्शन नहीं था और जिन्हें भोजन बनाने के लिए कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। मुफ्त में गैस सिलेंडर देने के लिए ऐसे लोगों को चिन्हित किया गया जो गरीबी की रेखा से नीचे का जीवन यापन कर रहे थे।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का प्रचलन

'प्रधानमंत्री मुद्रा योजना' के अंतर्गत गैर कृषि लघु उद्योगों को 10 लाख तक का ऋण प्रदान करने की योजना आरंभ की गई।
इस प्रकार के ऋण को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है । ये ऋण वाणिज्यिक बैंक, आर0आर0बी0, लघु वित्त बैंक, सहकारी बैंक और एन0बी0एफ0सी0 द्वारा दिए जा रहे हैं। इस संबंध में सरकारी आंकड़ों के माध्यम से जानकारी दी गई कि 23 मार्च 2018 तक कुल 2,28,144,.72 करोड़ रुपए के कुल 4,53,51,509 ऋण दिए गए हैं। यह योजना 8 अप्रैल 2015 से लागू की गई थी। देश के जनसाधारण को भी हवाई उड़ान उपलब्ध कराने की दिशा में कदम उठाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने 2016 में लगभग 128 रूट पर सस्ती दरों पर फ्लाइट उपलब्ध कराने का निर्णय लिया।

स्वच्छ भारत अभियान

उन्होंने 'स्वच्छ भारत अभियान' चलाकर भारत को 21वीं सदी का देश बनाने के लिए विशेष अभियान चलाया। इस अभियान में वह स्वयं भी रुचि लेते रहे हैं। उसी का परिणाम रहा कि भारत में सार्वजनिक स्थलों पर जिस प्रकार दीवारों के साथ खड़े होकर लोग पेशाब करते थे या मल त्याग के लिए लोग कहीं पर भी स्थान खोज लेते थे, या बीड़ी सिगरेट के ठुंठ फेंकने के लिए या चाय के कुल्हड़ फेंकने के लिए जिस प्रकार की लापरवाही दिखाते थे ,उस पर अंकुश लगा। लोगों में सुखद परिवर्तन देखे गए। उन्होंने बड़ी शीघ्रता से प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान को स्वीकार किया। सारे देश में हमने देखा कि प्रधानमंत्री का यह स्वच्छता अभियान पूर्ण सफलता को प्राप्त हो गया। अनेक स्थानों पर शौचालयों का निर्माण कराया गया। अब से पहले की सरकारों के समय में पारदर्शिता पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता था। जिससे कई प्रकार के घपले - घोटाले होने की संभावना बनी रहती थी। श्री मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के पश्चात पारदर्शिता बनाए रखने पर विशेष ध्यान दिया। इस नीति के अंतर्गत कोयला ब्लॉक आवंटन में पारदर्शी नीलामी, पर्यावरण संबंधी स्वीकृतियों के लिए ऑनलाइन आवेदन, कई निविदाओं के लिए ऑनलाइन व्यवस्था करने की दिशा में विशेष पहल की गई।

रोजगार देने पर दिया गया ध्यान

जिस समय प्रधानमंत्री मोदी भाजपा के स्टार प्रचारक के रूप में लोगों से सहयोग, समर्थन और वोट मांग रहे थे उस समय उन्होंने युवाओं को बड़ी संख्या में रोजगार देने की बात कही थी। जब वह सत्ता में आए तो उन्होंने कौशल विकास पर ध्यान दिया। वास्तव में यह बात एक व्यवहारिक सत्य है कि कोई भी सरकार सभी लोगों को रोजगार नहीं दे सकती। हां, वह रोजगार उपलब्ध कराने के साधन जुटा सकती है। कौशल विकास के माध्यम से मोदी सरकार ने देश के युवाओं को उद्योगों से जोड़कर प्रशिक्षण देना आरंभ किया। जिससे वह स्वरोजगार की दिशा में निर्णय ले सकें। यहां पर यह बात विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के शासनकाल में बुनकर, लोहार, बढ़ई, नाई, धोबी जैसे स्वरोजगारों को उजाड़ने के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियों की स्थापना की गई थी। नई पीढ़ी को स्वरोजगार से दूर कर नौकरियां पाने के लिए प्रेरित किया गया था। जिसके चलते भारतवर्ष का सारा सामाजिक ताना बाना उधड़ता जा रहा था। नई पीढ़ी किसी भी स्थिति में स्वरोजगार से जुड़े रहकर जीवन यापन करना अपने लिए पिछड़ेपन का प्रतीक मानने लगी थी। कौशल विकास के माध्यम से मोदी सरकार ने उनके भीतर फिर यह आत्मविश्वास जगाया कि वे परंपरागत रोजगारों को भी उच्चतम कौशल विकास प्रदान करके अपना सकते हैं।

हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए....

रोजगारों के संबंध में हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यदि सरकार रोजगार देने के साधन जुटा रही है तो लोग उन साधनों का सदुपयोग करना सीखें। आलस्य, प्रमाद , लापरवाही या इसी प्रकार के किसी दुर्गुण का परिचय देकर रोजगारों का दुरुपयोग करने की प्रवृत्ति हमारे देश में बहुत अधिक पाई जाती है। उसी का परिणाम है कि लोग रोजगार पाने के स्थान पर रोजगार खोते जा रहे हैं। अनेक क्षेत्रों में जे0सी0बी0 जैसी मशीनें आ गई हैं ,जिन्होंने लोगों के रोजगार को इसलिए छीन लिया है कि वे काम नहीं करते थे। उदाहरण के रूप में मजदूरों ने नेहरों की सफाई या सड़क के गड्ढों को भरने या सड़क के दोनों तरफ मिट्टी आदि डालने में जब पूरी तरह लापरवाही दिखानी आरंभ कर दी तो अपने आप सरकारी विभागों ने उनके स्थान पर मशीनों का प्रयोग करना आरंभ कर दिया। जिससे बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए। जनसाधारण की ओर से यह आरोप लगाना बड़ा सरल है कि सरकार नौकरी नहीं दे रही या रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं करवा रही पर साधनों का सदुपयोग करना और राष्ट्र की समृद्धि व उन्नति में सहयोग करना अलग बात है। महत्वपूर्ण यही है कि सरकार रोजगार के साधन उपलब्ध कराए, लोगों को रोजगार मिले और फिर सबका सामूहिक सांझा लक्ष्य राष्ट्र की उन्नति बने।

सामाजिक क्षेत्र में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय

'मेक इन इंडिया' के माध्यम से श्री मोदी ने भारत के निर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया। सामाजिक क्षेत्र में श्री मोदी ने तीन तलाक पर ऐतिहासिक निर्णय लिया। ज्ञात रहे कि तीन तलाक जैसी क्रूर व्यवस्था के कारण हमारे मुस्लिम बहनें मुस्लिम मर्दों के अत्याचारों का शिकार होती आ रही थीं। कांग्रेस सरकार ने शाहबानो प्रकरण में अनुचित हस्तक्षेप करते हुए मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों पर कुठाराघात किया था। श्री मोदी ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए 'मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज बिल' पारित करवा कर मुस्लिम महिलाओं को बड़ी राहत प्रदान की। इसी प्रकार उन्होंने हज पर दी जाने वाली छूट को भी 2018 में समाप्त कर दिया। वास्तव में इस्लाम में यह व्यवस्था है कि कोई भी हज यात्री सरकारी सहायता लेकर हज नहीं करेगा, इसके उपरांत भी हज यात्रियों को विशेष छूट दी जा रही थी। जिससे सरकारी खजाने पर अनावश्यक खर्च का बोझ बढ़ रहा था।

लिया सर्जिकल स्ट्राइक का साहसिक निर्णय

29 सितंबर 2016 को मोदी सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए पाकिस्तान पर 'सर्जिकल स्ट्राइक' की। उस समय पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकवादियों ने भारत के उड़ी सेक्टर में 18 सितंबर 2016 को हमारे 19 जवानों को शहीद कर दिया था। तब प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा था कि जवानों का यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। उन्होंने देश की भावनाओं का सम्मान करते हुए दुष्ट पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दिया। 'सर्जिकल स्ट्राइक' के माध्यम से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित आतंकवादी अड्डों को समाप्त किया गया। इससे विश्व जगत में भारत का बहुत अधिक सम्मान बढ़ा । जो लोग भारत को एक दब्बू देश के रूप में देखते थे, उनकी आंखें खुली और उन्हें लगा कि आज का भारत अपने सम्मान की रक्षा करना जानता है। अब वह एक गाल पर चांटा खाकर दूसरे गाल को सामने करने वाला भारत नहीं रहा, बल्कि यदि किसी ने उसकी ओर आंखें उठा कर देखने का साहस किया तो उसकी आंखें निकाल लेने का साहस करने वाला भारत बन गया है। सर्जिकल स्ट्राइक के माध्यम से भारत के वीर सैनिकों द्वारा शत्रु के घर में घुसकर शत्रु को ऐसी मार लगाई गई कि वह स्वयं भी दंग रह गया। उसके पश्चात पाकिस्तान ने भारत के विरुद्ध अपनी भूमि पर रचे जा रहे षड़यंत्रों पर विचार करना आरंभ कर दिया।
इस सर्जिकल स्ट्राइक के परिणाम स्वरूप भारत के लोगों में राष्ट्रवाद की भावना प्रबल हुई।

देश की रक्षा से कोई समझौता नहीं

यह बहुत ही दु:खद था कि संसार के सर्वाधिक जनसंख्या वाले देशों में सम्मिलित होकर भी भारतवर्ष की सेना के पास आधुनिकतम हथियार नहीं थे। यदि उन्हें इस प्रकार के हथियारों की आवश्यकता अनुभव होती थी तो सरकार बाहरी देशों से रक्षा सौदे करके हथियार खरीद कर लाती थी। प्रधानमंत्री के रूप में श्री मोदी ने इस ओर ध्यान देना आरंभ किया। उन्होंने भारत को रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर ही नहीं बल्कि हथियारों के निर्यातक देश के रूप में स्थापित करने का संकल्प लिया। अब से पूर्व सरकार में बैठे लोग रक्षा सौदों में बड़े-बड़े घोटाले दलाली के नाम पर करते थे। उस प्रकार की दुर्व्यवस्था से देश को बाहर निकाल कर लाना सचमुच राष्ट्र की बहुत बड़ी सेवा मानी जानी चाहिए। देश की सीमाओं को सुरक्षित करने की ओर भी श्री मोदी ने विशेष ध्यान दिया। पाकिस्तान और चीन जिस प्रकार सीमाओं पर छेड़छाड़ करते रहते थे, उन घटनाओं में भी मोदी के प्रधानमंत्री बनने के पश्चात कमी आई। इसका कारण केवल एक था कि अब सरकार ने सीमाओं पर खड़े अपने वीर देशभक्त सैनिकों को आधुनिकतम हथियार उपलब्ध करवाए और उन्हें शत्रु के साथ कड़ाई से निपटने के लिए कड़े निर्देश नहीं बल्कि खुली छूट प्रदान की। इस प्रकार श्री मोदी ने अपनी कार्यशैली से यह स्पष्ट किया कि देश की रक्षा के साथ वह किसी प्रकार का समझौता नहीं करेंगे।

17वीं लोकसभा का चुनाव

17वीं लोकसभा का चुनाव मई 2019 में हुआ था। भारत निर्वाचन आयोग ने 17वीं लोकसभा के चुनाव को 7 चरणों में अर्थात 11 अप्रैल 2019 से 19 मई 2019 तक संपन्न करवाया। चुनाव के पश्चात मतों की गणना 23 मई 2019 को संपन्न हुई। प्रधानमंत्री श्री मोदी के द्वारा अपनाई गई सकारात्मक और ऊर्जा प्रतिनिधियों के चलते लोगों ने उन्हें स्पष्ट जनादेश दिया। 16वीं लोकसभा में भाजपा की कुल 282 सीटों से भी अधिक सीट उसे 17वीं लोकसभा में प्राप्त हुईं और उसकी संख्या 303 हो गई। इस प्रकार भाजपा अपने दम पर सरकार बनाने में सफल हो गई। यद्यपि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन अर्थात भाजपा के सहयोगी दलों को मिलाकर लोकसभा में सरकार की शक्ति 350 सदस्यों की बन गई। जो शक्तियां प्रधानमंत्री मोदी को हटाने के लिए दिन-रात एक कर रही थीं, उन्हें देश के मतदाताओं ने अच्छा उत्तर दे दिया। 30 मई 2019 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने निरंतर दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ ग्रहण कराई।
17वीं लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में श्री ओम बिड़ला को चुना गया । किसी भी विपक्षी दल के पास 10% सीट न होने के कारण विपक्ष का कोई नेता इस लोकसभा में नहीं रहा। कांग्रेस ने अपने नेता के रूप में पश्चिम बंगाल से सांसद बने अधीर रंजन चौधरी को नियुक्त किया। 17वीं लोकसभा में 14% महिला सदस्य रही हैं। 267 सदस्य ऐसे रहे जो पहली बार संसद सदस्य बनकर लोकसभा में पहुंचे। 17वीं लोकसभा की औसत आयु 54 वर्ष रही और 12% सांसद ऐसे रहे जिनकी अवस्था 40 वर्ष से कम की थी। 43% सांसदों के पास स्नातक स्तर की शिक्षा रही । 25% स्नातकोत्तर रहे और 4 प्रतिशत सदस्यों के पास विभिन्न विषयों में डॉक्टरेट की उपाधि रही। इस लोकसभा में 90.4% सांसद हिंदू रहे।
17वीं लोकसभा के चुनाव पर भारत सरकार के खजाने से लगभग 7000 करोड़ रूपया खर्च हुआ। जबकि सभी प्रत्याशियों के चुनाव खर्च को यदि इसमें सम्मिलित किया जाए तो यह आंकड़ा 70000 करोड़ को छू जाता है। इस प्रकार एक संसदीय क्षेत्र पर 100 करोड़ से भी अधिक रुपया चुनाव पर खर्च हुआ। श्री सुनील अरोड़ा ( 02 दिसंबर 2018 से 12 अप्रैल 2021) इस समय भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त थे। 2019 में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में मतदान केंद्रों की संख्या 1035919 थी। राज्यों और केन्‍द्रशासित प्रदेशों में सामान्य मतदाताओं की संख्‍या 896076899 रही। दिव्‍यांग सामान्य मतदाताओं की संख्‍या 4563905 और प्रवासी भारतीय मतदाताओं की कुल संख्‍या 71735 थी। सेवा मतदाताओं की कुल संख्‍या 1662993 थी। इस प्रकार 2019 के लोकसभा चुनाव के समय कुल मतदाताओं की संख्या 897811627 थी।

(लेखक डॉ राकेश कुमार आर्य सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता हैं।)हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

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