अखंड सौभाग्य वर वृष्टि,वट सावित्री आराधना से
ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या अद्भुत,सर्वत्र धर्म आस्था सरित प्रवाह ।
अविरल सुखद दांपत्य चाहना,
अंतर्मन ज्योत दिव्यता अथाह ।
नारी शक्ति भक्ति पथ अनुपम,
रग रग अभिभूत समर्पण भावना से ।
अखंड सौभाग्य वर वृष्टि,वट सावित्री आराधना से ।।
सावित्री सम दृढ़ संकल्पित,
सृष्टि पटल हर सुहागिन ।
स्मृत सत्यवान प्राण रक्षा ,
श्रृंगार सदृश दिव्य जोगिन ।
सुख समृद्धि आरोग्यता संग ,
दीर्घ वय कामना अनूप साधना से ।
अखंड सौभाग्य वर वृष्टि वट सावित्री आराधना से ।।
बरगद वृक्ष अनुपमा अप्रतिम,
पर्ण पटल मुरलीधर वास ।
ब्रह्मा विष्णु महेश आभा,
वट उत्संग स्थाई निवास ।
नित्य प्राप्त पावन आशीष,
अंतःकरण मंगल याचना से ।
अखंड सौभाग्य वर वृष्टि,वट सावित्री आराधना ।।
हिंद संस्कृति सावित्री चरित्र,
सदैव प्रेरक आराधित व्यक्तित्व ।
उपमा वेद मां गायत्री सरस्वती ,
लोक गुणगान दर्शित अपनत्व ।
सुहागिन महाव्रत भव्य बेला,
परिवेश सुरभित आध्यात्म सुवासना से ।
अखंड सौभाग्य वर वृष्टि, वट सावित्री आराधना से ।।
महेन्द्र कुमार(स्वरचित मौलिक रचना)
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