ऐसा ही घर चाहिए

ऐसा ही घर चाहिए
मैं सनातनी मुझको तो बस ऐसा ही घर चाहिए।
धर्म के अनुकूल मुझको इसमें सबकुछ चाहिए।
मेरे घर में एक छोटी वाटिका निश्चित रहे।
तुलसी दुर्वा बिल्व आदि जैसे पौधे चाहिए।
गेंदा उड़हुल बेली और अपराजिता खिलती रहें।
कनेर चंपा और चमेली जैसे पुष्प भी चाहिए।
रजनीगंधा रात में खुशबू फैलाती रहें।
कदलीफल के वृक्ष भी घर में अनेकों चाहिए।
मेरे घर के ईसान कोने में बना एक कूप हो।
कूप गर न हो सके तो निश्चित यहां नलकूप हो।
पूजा कक्ष भी इस दिशा में ही बना मुझे चाहिए।
नर्मदेश्वर शालिग्राम भी स्वयं प्रतिष्ठित चाहिए।
तुलसी पिंडा ध्वज महावीरी भी होना चाहिए।
संध्या पूजा कर सकूं प्रतिदिन ही ऐसा चाहिए।
सूर्य का दर्शन सकूं कर ऐसा ही घर चाहिए।
घर के पूर्व दिशा ही में अध्ययन कक्ष भी चाहिए।
कक्ष में सद्ग्रंथ का संग्रह भी होना चाहिए।
बैठकर इस कक्ष में स्वाध्याय हम प्रतिदिन करें।
वेद गीता और रामायण जैसे ग्रंथ भी चाहिए।
बच्चे भी इस कक्ष में ही अपना अध्ययन करें।
मां सरस्वती का भी कक्ष में चित्र होना चाहिए।
मैं सनातनी मुझको तो बस ऐसा ही घर चाहिए।
घर के अग्नि कोण में बना एक रसोई कक्ष हो।
जिसमें बनता हो प्रभू के लिए प्रतिदिन भोग हो।ंं
जो पके इस कक्ष में वह भोग लगना चाहिए।
प्रेम से परिवार में एक संग भोजन चाहिए।
शुद्ध सात्विक पुष्टिकारक भोग हमको चाहिए।
करें भोजन उसके पहले निकले कुछ गो ग्रास भी।
स्वान पंछी चींटियों और जलचरों को ग्रास भी।
अपने भोजन पर न केवल अपना ही अधिकार हो।
इन सबों को ग्रास देकर करना भोजन चाहिए।
और सारे कार्य को चाहे करें सब ही अलग
भजन भजन में सभी एक संग होना चाहिए।
अन्नपूर्णा मां का कक्ष में चित्र होना चाहिए।
मैं सनातनी मुझको तो बस ऐसा ही घर चाहिए।
दक्षिण दिशा में घर के मुखिया के लिए एक कक्ष हो।
गौरी शंकर सीताराम और राधे कृष्ण का चित्र हो।
दक्षिण पश्चिम कोण नैऋत में शौचालय चाहिए।
मैं सनातनी मुझको तो बस ऐसा ही घर चाहिए।
दिशा पश्चिम में गोशाला में हो गैया मैया भी।
नश्ल उसका हमको तो बस भारतीय ही चाहिए।
गौ की सेवा हो प्रतिदिन ऐसा घर ही चाहिए।
उत्तर पश्चिम कोण है वायव्य का भंडार का।
इस दिशा के कक्ष में भंडार अपना चाहिए।
मेरे घर में एक अतिथि कक्ष भी यहीं पर रहे।
अतिथियों का घर में खूब सम्मान होना चाहिए।
मैं सनातनी मुझको तो बस ऐसा ही घर चाहिए।
द्वार घर का उत्तराभिमुख हो या पुर्वाभिमुख।
कोई भी मुख हो मगर घर वास्तुसम्मत चाहिए।
मुख्य द्वार पे ऋद्धि सिद्धि लाभ शुभ अंकित रहे।
चिह्न स्वस्तिक शंख चक्र गदादि भी चित्रित रहें।
घर के हर दीवार पर सदवाक्य लिखा चाहिए।
मैं सनातनी मुझको तो बस ऐसा ही घर चाहिए।
-सुशील कुमार मिश्र

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