मौन रहकर भी संवाद किया जाता है,
शुष्क नयन से भी नीर बहाया जाता है।गर्म तवे पर पानी के छींटे तपस मिटाते,
जाग रहे हिन्दू, कुठाराघात किया जाता है।
चारा बना रहे हमको, हम भाई कहते,
बिन गलती के जुल्म, सभी हम सहते।
अत्याचारी मुग़लों के, हमदर्द बने जो,
हिन्दू के मरने पर, क्यों तुम चुप रहते।
सहिष्णुता का मतलब अब, कायरता कहलाता है,
आतंकी से हमदर्दी रखना भी, सर्वनाश करवाता है।
वसुधैव कुटुम्बकम् भातृत्व भाव, है हिन्दू की नीति,
दुष्टों के संग मानवता, नाश का कारण बन जाता है।
अ कीर्ति वर्द्धन
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