मरना एक दिन सबको है

मरना एक दिन सबको है,

सब मरने से क्यों डरते हैं।
जब तक जिन्दा रहते हैं ,
क्यों काम न अच्छा करते हैं।।
बुरा काम शीघ्र फल दाता,
अच्छा का कठिन डगर है।
एक पथ ही चुनना है सबको,
इसमें भी अगर मगर है।।
उलझन में पड़ सबका जीवन,
ऐसे ही कटता जाता है।
कैसा है नादान मनुज जो,
निर्णय नहीं ले पाता है।।
परमपिता ने मानव जीवन,
कुछ ऐसा ही बनाया है।
अच्छा बुरा की गुत्थी को,
ज्ञानी भी सुलझा न पाया है।। 
 जय प्रकाश कुवंर
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