हिन्द देश का गौरव हिन्दू ,
सत्य सनातन संत संतान ।हर धर्मों का आदर करते ,
अलग बनाया है पहचान ।।
हर धर्मों का वास जहाॅं है ,
हिन्द देश है वह भारतवर्ष ।
सबका सबसे है भाईचारा ,
मिलजुल रहते सब सहर्ष ।।
प्राचीन धर्म तो बस एक है ,
अलग हो बने सारे ये धर्म ।
सारे धर्म ही तो होते हैं नेक ,
सबके होते हैं ये नेक कर्म ।।
सनातन ही तो एक वृक्ष है ,
शेष सारे उसके ही डाल ।
सबके फल भी मधुर होते ,
विश्वबन्धुत्व करता निहाल ।।
सभ्यता शिष्टता सारे गुण ,
मृदुल वाणी सद्व्यवहार ।
दया उपकार है मानवता ,
सत्कार संग हो शिष्टाचार ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार
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