समय परिवर्तनशील है |
ऋचा श्रावणी
समय परिवर्तनशील
काल खंड के कालजई पर,
काल जब आयेगा |
पाप से धधक रही धरती पर,
पुष्यमित्र शुंग फिर आयेगा ||
धरा को ताड़का, पूतना से मुक्त कराने को ,
सनातन की रक्षा करने फिर से भगवा ध्वज वो लहराएगा|
प्रजा के आंखों पर पट्टी चढ़ी है,
स्वतंत्रता से पहले भी तो गांधी की भक्ति रही है|
क्या गलत किया उस देशभक्त ने?
जिसे अदालत ने फांसी चढ़ाई थी|
अमर रहे श्री गोडसे जी ,
जिसने अपनी बली चढ़ाई थी|
आज फिर गांधी है उभरा,
जो आज प्रजा को ठग रहा ||
फिर कोई चाणक्य आएगा
फिर से भारत को अखण्ड हिन्दू राष्ट्र बनाएगा ।
जय मां भारती
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