माँ बाप से....
माँ बाप से बढ़कर जग मेंऔर कोई नहीं है दूजा।
जिनकी छत छाया में रहकर
तू इतना बड़ा हुआ है।।
तेरे पीछे उन्होंने ने
अपना सब कुछ गवाया।
तेरी खुशियों की खातिर में।
अपना जीवन लगाया।
तू रहे खुश जीवन में।
तुझे काबिल इतना बनाया।
खुश रहना मेरे बच्चे।
ऐसी है हमारी दुआएं।।
माँ बाप से बढ़कर जग में
और कोई नहीं है दूजा।
जिनकी छत छाया में रहकर
तू इतना बड़ा हुआ है।।
एक लड़की की खातिर तूने।
अपना घर द्वारा को छोड़ा।
अपने सुख की खातिर ही।
माँ बाप से मुँह मोड़ा।
तू सोच रहा ऐसा करके।
मै सुख रहूँगा जीवन में।
पर सुन ले मेरे बेटे
तू भूलकर रहा बड़ी।।
माँ बाप से बढ़कर जग में
और कोई नहीं है दूजा।
जिनकी छत छाया में रहकर
तू इतना बड़ा हुआ है।।
सोचता था हम लोगों ने।
बेटा बनेगा सहारा हमारा।
सुख दुख के हर पलों में।
थामेगा हाथ हमारा।
तू पुत्र है हम दोनों का।
हमें फक्र बहुत तब होगा।
जब हाथ पड़कर हमरा
तू संग मेरे चलेगा।।
माँ बाप से बढ़कर जग में
और कोई नहीं है दूजा।
जिनकी छत छाया में रहकर
तू इतना बड़ा हुआ है।।
जय जिनेंद्र
संजय जैन " बीना" मुंबई
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