Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

जग के मस्तक पर रोली सा, शोभित हिंदुस्तान हमारा

जग के मस्तक पर रोली सा, शोभित हिंदुस्तान हमारा

धरा अंतर सौंधी सुगंध,
अनंत स्नेह प्रेम वंदन ।
अद्भुत अनुपम संस्कृति,
रग रग अपनत्व स्पंदन ।
अतिथि देवो भव मूल मंत्र,
उत्संग समरसता पसारा ।
जग के मस्तक पर रोली सा,शोभित हिंदुस्तान हमारा ।।

अदम्य साहस शौर्य गाथा
स्वाभिमान रक्षित इतिहास ।
प्रतिदिन उत्सविक परिवेश,
संघर्ष सह विजय उल्लास ।
सर्व धर्म समभाव सर्वत्र,
नित अंकुरित भाई चारा ।
जग के मस्तक पर रोली सा,शोभित हिंदुस्तान हमारा ।।

विविधता अंतरंग एकता,
जनमानस देशभक्ति सराबोर ।
शिक्षा विज्ञान अग्र कदम,
विकास क्षेत्र कीर्तिमानी भोर ।
नारी जगत सशक्ति पर्याय,
घर द्वार प्रगति उजियारा ।
जग के मस्तक पर रोली सा, शोभित हिंदुस्तान हमारा ।।

संबंध शोभा समर्पण भाव ,
मर्यादा संस्कार अनुपालन ।
परा परंपरा अमूल्य विरासत,
अंतःकरण आत्मीयता बिछावन ।
पर्यावरण संरक्षण चेतना अथाह,
वसुधैव कुटुंबकम् वत्सल धारा ।
जग के मस्तक पर रोली सा, शोभित हिंदुस्तान हमारा ।।

महेन्द्र कुमार

(स्वरचित मौलिक रचना)


हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ