मानव जीवन का सकारात्मक ऊर्जा स्रोत है योग|
सत्येन्द्र कुमार पाठक
सनातन धर्म संस्कृति परंपरा और स्मृति , संहिताओं आदि ग्रंथों में योग का महत्वपूर्ण उल्लेख है । भगगवन शिव को योग का पिता कहा जाता है । भक्ति योग , कर्मयोग और ज्ञान योग से मानवीय शक्ति का चतुर्दिक विकास का माध्यम योग है । पुरातन काल में योग करने वाले पुरुष को योगी और महिला को योगनी कहा जाता है ।योग ज्ञान से दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है । अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस प्रतिवर्ष 21 जून वर्ष का सबसे लम्बा दिन होता है । योग मनुष्य को दीर्घायु बनाता है। प्रथम बार योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया, जिसकी पहल भारत के प्रधानमन्त्री श्रीमान नरेन्द्र मोदी नें 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में विचार प्रगट किया था । योग, ध्यान, सामूहिक मन्थन, विचार-विमर्श, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक का मंथन योग है । भारत की प्राचीन परम्परा का अमूल्य उपहार योग दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक और इंसान तथा प्रकृति के बीच सामंजस्य , विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला , स्वास्थ्य और भलाई के लिए समग्र दृष्टिकोण को प्रदान करने वाला है। संयुक्त राष्ट्र के 11 दिसंबर 2014 ई. को विश्व योग दिवस का पारित प्रस्ताव के अनुसार विश्व के 177 देशों के सदस्यों द्वारा 21 जून 2015 को "अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस" को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली है। भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की अपील के बाद 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव को अमेरिका द्वारा मंजूरी दी थी । सर्वप्रथम 21 जून 2015 को विश्व में विश्व योग दिवस विश्व शान्ति के लिए द्विदिवसीय विज्ञान' सम्मेलन 4 से 5 दिसम्बर 2011 आयोजित किया गया। लिस्बन, पुर्तगाल के योग संघ, आर्ट ऑफ़ लिविंग फ़ाउण्डेशन और योग विश्वविद्यालय, बेंगलूर के द्वारा आयोजित किया गया। योग गुरु अमृत सूर्यानन्द के अनुसार विश्व योग दिवस का विचार 10 साल पहले आया था । भारत की ओर से योग गुरु एवं श्री श्री रवि शंकर के नेतृत्व में विश्व योग दिवस के रूप में 21 जून को संयुक्त राष्ट्र और यूनेस्को द्वारा घोषित करने के लिए हस्ताक्षर किए गए थे । विज्ञान सम्मेलन में श्री श्री रवि शंकर, संस्थापक, आर्ट ऑफ़ लिविंग; आदि चुन चुन गिरि मठ के श्री स्वामी बाल गंगाधरनाथ; स्वामी पर्मात्मानन्द, हिन्दू धर्म आचार्य सभा के महासचिव; बीकेएस अयंगर, राममणि आयंगर मेमोरियल योग संस्थान, पुणे; स्वामी रामदेव, पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार; डॉ॰ नागेन्द्र, विवेकानन्द योग विश्वविद्यालय, बंगलुरू; जगत गुरु अमृत सूर्यानन्द महा राज, पुर्तगाली योग परिसंघ के अध्यक्ष; अवधूत गुरु दिलीपजी महाराज, विश्व योग समुदाय, सुबोध तिवारी, कैवल्यधाम योग संस्थान के अध्यक्ष; डा डी॰आर कार्तिकेयन, कानून-मानव जिम्मेदारियों व कारपोरेट मामलों के सलाहकार और डॉ॰ रमेश बिजलानी, श्री अरबिन्दो आश्रम, नई दिल्ली शामिल थे । प्रधानमन्त्री मोदी के प्रस्ताव का नेपाल के प्रधान मंत्री सुशील कोइराला , संयुक्त राज्य अमेरिका सहित 177 से अधिक देशों, कनाडा, चीन और मिस्र आदि ने समर्थन किया है। "अभी तक हुए किसी भी संयुक्त राष्ट्र महासभा के संकल्प के लिए यह सह प्रायोजकों की सबसे अधिक संख्या है। 11 दिसम्बर 2014 को 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से 'योग के अन्तरराष्ट्रीय दिवस' मनाने 21 जून को स्वीकृति दी गयी थी । भारत में पहले अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस 2015 को विश्व योग दिवस को यादगार बनाने और पूरे विश्व को योग के प्रति जागरूक करने के लिए 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के सफल होने के साथ विश्व रिकार्ड कायम कर लिए थे । प्राचीन काल से सनातन धर्म के ऋषि, महर्षियों ,साधु – संतों द्वारा योग को अपनाया जाता रहा है। सिंधु घाटी सभ्यता में योग को प्रदर्शित करती हुई मूर्तियों के अवशेष प्राप्त हुए हैं जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि योग 10,000 वर्ष पूर्व से किया जा रहा है। ऋषि ,मुनि, साधु प्राय: परमात्मा प्राप्ति के लिए हठयोग किया करते थे।
शैव , शाक्त , वैष्णव , सौर , ब्राह्मण धर्म में योग संस्कृति थी । ऋषभदेव, महावीर स्वामी , गौतम , बुद्ध, चरक , पतंजलि , चुणक ऋषि, गौरख नाथ व नाथ परंपरा में शामिल ऋषि , मुनि , भगवान शिव , ब्रह्मा जी, विष्णु जी और नारद , हनुमान हठयोग किया करते थे । योग के जनक भगवान शिव द्वारा नृत्य क्रियाएं एवं हठयोग किया करते थे । योग का प्रयोग शरीर को सुंदर, सुडौल,स्वस्थ और रोगों से दूर रहने के लिए किया जाता है । योगीजन स्वच्छ वातावरण में रह कर वायु शुद्ध, विचार शुद्ध , खान-पान अच्छा और सेहतमंद हुआ करते थे । सतभक्ति न करने से 84 लाख योनियों की मार झेलनी पड़ती है। विश्व के 192 देशों में योग दिवस मनाया जाता है । श्रीमद्भगवद्गीता के 16 /, 23 और 24 तथा 17 / 5 - 6 अनुसार शास्त्रविधि रहित घोर तप हठ योग अहंकार और पाखण्ड से युक्त कामना, आसक्ति और बल के अभिमान से युक्त हैं। मन, आत्मा और शरीर सभी का भला होता है। पवित्र श्रीमदभगवद गीता अध्याय 4 के श्लोक 34 में गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि तत्वज्ञान को सूक्ष्म वेद में वर्णित है उस ज्ञान को तू तत्वदर्शी संत के पास जाकर समझ वह तत्वदर्शी संत तुझे उस परमात्म तत्व का ज्ञान कराएंगे उस तत्वदर्शी संत से नाम दीक्षा लेकर भक्ति करने से मोक्ष की प्राप्ति होगी। मनु स्मृति 6 / 71 , योग चूड़ामणि 109, योग दर्शन 2 / 13 , चरक संहिता , शांगधर पद्धति , तैतिरियोपनिषद , अथर्वेद , हठयोगप्रदीपिका , ऋग्वेद 10,16 ,2 , ऋषि वशिष्ठ ,पतंजलि , देव गुरु वृहस्पति , दैत्य गुरु शुक्राचार्य , आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा योग की महत्ता पर प्रकाश डाला गया है । इंसान को ठड्डियान बंध ,अनुलोम विलोम प्रणायाम ,भ्रामरी प्राणायाम, मूलाधार चक्र ,स्वाधिष्ठान चक्र ,मणिपुर चक्र ,हृदय चक्र , विशुद्धि चक्र ,गायत्री ध्यान , सूर्य नमस्कार , अनाहत चक्र ,सौष्णुम्न ,एवं ध्यानादि योग क्रियाओं से इंसान मानसिक और शारीरिक क्षमता में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाती है । अष्टांग योग संस्थान, मैसूर अष्टांग योग अनुसंधान संस्थान, कर्नाटक के मैसूर में योग केंद्र देश नहीं बल्कि विदेश में भी काफी प्रसिद्ध है। डेस्टिनेशन कृष्णमाचार्य योग संस्थान, चेन्नई कृष्णमाचार्य योग संस्थान, तमिलनाडु के चेन्नई में स्थित है। फेस्टिवल की सभी जानकारी राममणि अयंगर मेमोरियल योगा संस्थान, पुणे यह संस्थान, पुणे के एक अयंगर परिवार द्वारा संचालित है। योग संस्थान, मुंगेर बिहार योग संस्थान, भारत के प्रमुख योग संस्थान को 1964 में स्वामी सत्यानंद सरस्वती द्वारा स्थापित किया गया था। यहां संपूर्ण योग जीवन शैली प्रदान की जाती है। निकेतन आश्रम, ऋषिकेश परमार्थ निकेतन आश्रम, भारत के सबसे प्रमुख योग केंद्र उत्तराखंड के पवित्र शहर ऋषिकेश में स्थित संस्थान में 1000 कमरे हैं। प्रत्येक वर्ष मार्च में विश्व प्रसिद्ध योग उत्सव का आयोजन किया जाता है। शिवानंद वेदांत योग संस्थान, त्रिवेंद्रम शिवानंद वेदांत योग संस्थान केरल के त्रिवेंद्रम में स्वामी शिवानंद के शिष्य विष्णुदेवानंद द्वारा बनाया गया था। वेदांत संस्थान आसन स्वास्थ्य विश्राम ध्यान और आहार सहित योग्य पांच बिंदु अवधारणा की नींव है। ओडिशा , उत्तरप्रदेश , उत्तराखंड , राजस्थान , महाराष्ट्र , बंगलोर , भोपाल आदि स्थानों में योग केंद्र है। सनातन धर्म संस्कृति परंपरा और स्मृति , संहिताओं आदि ग्रंथों में योग का महत्वपूर्ण उल्लेख है । भगगवन शिव को योग का पिता कहा जाता है । भक्ति योग , कर्मयोग और ज्ञान योग से मानवीय शक्ति का चतुर्दिक विकास का माध्यम योग है । पुरातन काल में योग करने वाले पुरुष को योगी और महिला को योगनी कहा जाता है ।योग ज्ञान से दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है । अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस प्रतिवर्ष 21 जून वर्ष का सबसे लम्बा दिन होता है । योग मनुष्य को दीर्घायु बनाता है। प्रथम बार योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया, जिसकी पहल भारत के प्रधानमन्त्री श्रीमान नरेन्द्र मोदी नें 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में विचार प्रगट किया था । योग, ध्यान, सामूहिक मन्थन, विचार-विमर्श, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक का मंथन योग है । भारत की प्राचीन परम्परा का अमूल्य उपहार योग दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक और इंसान तथा प्रकृति के बीच सामंजस्य , विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला , स्वास्थ्य और भलाई के लिए समग्र दृष्टिकोण को प्रदान करने वाला है। संयुक्त राष्ट्र के 11 दिसंबर 2014 ई. को विश्व योग दिवस का पारित प्रस्ताव के अनुसार विश्व के 177 देशों के सदस्यों द्वारा 21 जून 2015 को "अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस" को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली है। भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की अपील के बाद 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव को अमेरिका द्वारा मंजूरी दी थी । सर्वप्रथम 21 जून 2015 को विश्व में विश्व योग दिवस विश्व शान्ति के लिए द्विदिवसीय विज्ञान' सम्मेलन 4 से 5 दिसम्बर 2011 आयोजित किया गया। लिस्बन, पुर्तगाल के योग संघ, आर्ट ऑफ़ लिविंग फ़ाउण्डेशन और योग विश्वविद्यालय, बेंगलूर के द्वारा आयोजित किया गया। योग गुरु अमृत सूर्यानन्द के अनुसार विश्व योग दिवस का विचार 10 साल पहले आया था । भारत की ओर से योग गुरु एवं श्री श्री रवि शंकर के नेतृत्व में विश्व योग दिवस के रूप में 21 जून को संयुक्त राष्ट्र और यूनेस्को द्वारा घोषित करने के लिए हस्ताक्षर किए गए थे । विज्ञान सम्मेलन में श्री श्री रवि शंकर, संस्थापक, आर्ट ऑफ़ लिविंग; आदि चुन चुन गिरि मठ के श्री स्वामी बाल गंगाधरनाथ; स्वामी पर्मात्मानन्द, हिन्दू धर्म आचार्य सभा के महासचिव; बीकेएस अयंगर, राममणि आयंगर मेमोरियल योग संस्थान, पुणे; स्वामी रामदेव, पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार; डॉ॰ नागेन्द्र, विवेकानन्द योग विश्वविद्यालय, बंगलुरू; जगत गुरु अमृत सूर्यानन्द महा राज, पुर्तगाली योग परिसंघ के अध्यक्ष; अवधूत गुरु दिलीपजी महाराज, विश्व योग समुदाय, सुबोध तिवारी, कैवल्यधाम योग संस्थान के अध्यक्ष; डा डी॰आर कार्तिकेयन, कानून-मानव जिम्मेदारियों व कारपोरेट मामलों के सलाहकार और डॉ॰ रमेश बिजलानी, श्री अरबिन्दो आश्रम, नई दिल्ली शामिल थे । प्रधानमन्त्री मोदी के प्रस्ताव का नेपाल के प्रधान मंत्री सुशील कोइराला , संयुक्त राज्य अमेरिका सहित 177 से अधिक देशों, कनाडा, चीन और मिस्र आदि ने समर्थन किया है। "अभी तक हुए किसी भी संयुक्त राष्ट्र महासभा के संकल्प के लिए यह सह प्रायोजकों की सबसे अधिक संख्या है। 11 दिसम्बर 2014 को 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से 'योग के अन्तरराष्ट्रीय दिवस' मनाने 21 जून को स्वीकृति दी गयी थी । भारत में पहले अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस 2015 को विश्व योग दिवस को यादगार बनाने और पूरे विश्व को योग के प्रति जागरूक करने के लिए 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के सफल होने के साथ विश्व रिकार्ड कायम कर लिए थे । प्राचीन काल से सनातन धर्म के ऋषि, महर्षियों ,साधु – संतों द्वारा योग को अपनाया जाता रहा है। सिंधु घाटी सभ्यता में योग को प्रदर्शित करती हुई मूर्तियों के अवशेष प्राप्त हुए हैं जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि योग 10,000 वर्ष पूर्व से किया जा रहा है। ऋषि ,मुनि, साधु प्राय: परमात्मा प्राप्ति के लिए हठयोग किया करते थे।
शैव , शाक्त , वैष्णव , सौर , ब्राह्मण धर्म में योग संस्कृति थी । ऋषभदेव, महावीर स्वामी , गौतम , बुद्ध, चरक , पतंजलि , चुणक ऋषि, गौरख नाथ व नाथ परंपरा में शामिल ऋषि , मुनि , भगवान शिव , ब्रह्मा जी, विष्णु जी और नारद , हनुमान हठयोग किया करते थे । योग के जनक भगवान शिव द्वारा नृत्य क्रियाएं एवं हठयोग किया करते थे । योग का प्रयोग शरीर को सुंदर, सुडौल,स्वस्थ और रोगों से दूर रहने के लिए किया जाता है । योगीजन स्वच्छ वातावरण में रह कर वायु शुद्ध, विचार शुद्ध , खान-पान अच्छा और सेहतमंद हुआ करते थे । सतभक्ति न करने से 84 लाख योनियों की मार झेलनी पड़ती है। विश्व के 192 देशों में योग दिवस मनाया जाता है । श्रीमद्भगवद्गीता के 16 /, 23 और 24 तथा 17 / 5 - 6 अनुसार शास्त्रविधि रहित घोर तप हठ योग अहंकार और पाखण्ड से युक्त कामना, आसक्ति और बल के अभिमान से युक्त हैं। मन, आत्मा और शरीर सभी का भला होता है। पवित्र श्रीमदभगवद गीता अध्याय 4 के श्लोक 34 में गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि तत्वज्ञान को सूक्ष्म वेद में वर्णित है उस ज्ञान को तू तत्वदर्शी संत के पास जाकर समझ वह तत्वदर्शी संत तुझे उस परमात्म तत्व का ज्ञान कराएंगे उस तत्वदर्शी संत से नाम दीक्षा लेकर भक्ति करने से मोक्ष की प्राप्ति होगी। मनु स्मृति 6 / 71 , योग चूड़ामणि 109, योग दर्शन 2 / 13 , चरक संहिता , शांगधर पद्धति , तैतिरियोपनिषद , अथर्वेद , हठयोगप्रदीपिका , ऋग्वेद 10,16 ,2 , ऋषि वशिष्ठ ,पतंजलि , देव गुरु वृहस्पति , दैत्य गुरु शुक्राचार्य , आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा योग की महत्ता पर प्रकाश डाला गया है । इंसान को ठड्डियान बंध ,अनुलोम विलोम प्रणायाम ,भ्रामरी प्राणायाम, मूलाधार चक्र ,स्वाधिष्ठान चक्र ,मणिपुर चक्र ,हृदय चक्र , विशुद्धि चक्र ,गायत्री ध्यान , सूर्य नमस्कार , अनाहत चक्र ,सौष्णुम्न ,एवं ध्यानादि योग क्रियाओं से इंसान मानसिक और शारीरिक क्षमता में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाती है । अष्टांग योग संस्थान, मैसूर अष्टांग योग अनुसंधान संस्थान, कर्नाटक के मैसूर में योग केंद्र देश नहीं बल्कि विदेश में भी काफी प्रसिद्ध है। डेस्टिनेशन कृष्णमाचार्य योग संस्थान, चेन्नई कृष्णमाचार्य योग संस्थान, तमिलनाडु के चेन्नई में स्थित है। फेस्टिवल की सभी जानकारी राममणि अयंगर मेमोरियल योगा संस्थान, पुणे यह संस्थान, पुणे के एक अयंगर परिवार द्वारा संचालित है। योग संस्थान, मुंगेर बिहार योग संस्थान, भारत के प्रमुख योग संस्थान को 1964 में स्वामी सत्यानंद सरस्वती द्वारा स्थापित किया गया था। यहां संपूर्ण योग जीवन शैली प्रदान की जाती है। निकेतन आश्रम, ऋषिकेश परमार्थ निकेतन आश्रम, भारत के सबसे प्रमुख योग केंद्र उत्तराखंड के पवित्र शहर ऋषिकेश में स्थित संस्थान में 1000 कमरे हैं। प्रत्येक वर्ष मार्च में विश्व प्रसिद्ध योग उत्सव का आयोजन किया जाता है। शिवानंद वेदांत योग संस्थान, त्रिवेंद्रम शिवानंद वेदांत योग संस्थान केरल के त्रिवेंद्रम में स्वामी शिवानंद के शिष्य विष्णुदेवानंद द्वारा बनाया गया था। वेदांत संस्थान आसन स्वास्थ्य विश्राम ध्यान और आहार सहित योग्य पांच बिंदु अवधारणा की नींव है। ओडिशा , उत्तरप्रदेश , उत्तराखंड , राजस्थान , महाराष्ट्र , बंगलोर , भोपाल आदि स्थानों में योग केंद्र है ।
सनातन धर्म संस्कृति परंपरा और स्मृति , संहिताओं आदि ग्रंथों में योग का महत्वपूर्ण उल्लेख है । भगगवन शिव को योग का पिता कहा जाता है । भक्ति योग , कर्मयोग और ज्ञान योग से मानवीय शक्ति का चतुर्दिक विकास का माध्यम योग है । पुरातन काल में योग करने वाले पुरुष को योगी और महिला को योगनी कहा जाता है ।योग ज्ञान से दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है । अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस प्रतिवर्ष 21 जून वर्ष का सबसे लम्बा दिन होता है । योग मनुष्य को दीर्घायु बनाता है। प्रथम बार योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया, जिसकी पहल भारत के प्रधानमन्त्री श्रीमान नरेन्द्र मोदी नें 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में विचार प्रगट किया था । योग, ध्यान, सामूहिक मन्थन, विचार-विमर्श, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक का मंथन योग है । भारत की प्राचीन परम्परा का अमूल्य उपहार योग दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक और इंसान तथा प्रकृति के बीच सामंजस्य , विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला , स्वास्थ्य और भलाई के लिए समग्र दृष्टिकोण को प्रदान करने वाला है। संयुक्त राष्ट्र के 11 दिसंबर 2014 ई. को विश्व योग दिवस का पारित प्रस्ताव के अनुसार विश्व के 177 देशों के सदस्यों द्वारा 21 जून 2015 को "अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस" को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली है। भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की अपील के बाद 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव को अमेरिका द्वारा मंजूरी दी थी । सर्वप्रथम 21 जून 2015 को विश्व में विश्व योग दिवस विश्व शान्ति के लिए द्विदिवसीय विज्ञान' सम्मेलन 4 से 5 दिसम्बर 2011 आयोजित किया गया। लिस्बन, पुर्तगाल के योग संघ, आर्ट ऑफ़ लिविंग फ़ाउण्डेशन और योग विश्वविद्यालय, बेंगलूर के द्वारा आयोजित किया गया। योग गुरु अमृत सूर्यानन्द के अनुसार विश्व योग दिवस का विचार 10 साल पहले आया था । भारत की ओर से योग गुरु एवं श्री श्री रवि शंकर के नेतृत्व में विश्व योग दिवस के रूप में 21 जून को संयुक्त राष्ट्र और यूनेस्को द्वारा घोषित करने के लिए हस्ताक्षर किए गए थे । विज्ञान सम्मेलन में श्री श्री रवि शंकर, संस्थापक, आर्ट ऑफ़ लिविंग; आदि चुन चुन गिरि मठ के श्री स्वामी बाल गंगाधरनाथ; स्वामी पर्मात्मानन्द, हिन्दू धर्म आचार्य सभा के महासचिव; बीकेएस अयंगर, राममणि आयंगर मेमोरियल योग संस्थान, पुणे; स्वामी रामदेव, पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार; डॉ॰ नागेन्द्र, विवेकानन्द योग विश्वविद्यालय, बंगलुरू; जगत गुरु अमृत सूर्यानन्द महा राज, पुर्तगाली योग परिसंघ के अध्यक्ष; अवधूत गुरु दिलीपजी महाराज, विश्व योग समुदाय, सुबोध तिवारी, कैवल्यधाम योग संस्थान के अध्यक्ष; डा डी॰आर कार्तिकेयन, कानून-मानव जिम्मेदारियों व कारपोरेट मामलों के सलाहकार और डॉ॰ रमेश बिजलानी, श्री अरबिन्दो आश्रम, नई दिल्ली शामिल थे । प्रधानमन्त्री मोदी के प्रस्ताव का नेपाल के प्रधान मंत्री सुशील कोइराला , संयुक्त राज्य अमेरिका सहित 177 से अधिक देशों, कनाडा, चीन और मिस्र आदि ने समर्थन किया है। "अभी तक हुए किसी भी संयुक्त राष्ट्र महासभा के संकल्प के लिए यह सह प्रायोजकों की सबसे अधिक संख्या है। 11 दिसम्बर 2014 को 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से 'योग के अन्तरराष्ट्रीय दिवस' मनाने 21 जून को स्वीकृति दी गयी थी । भारत में पहले अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस 2015 को विश्व योग दिवस को यादगार बनाने और पूरे विश्व को योग के प्रति जागरूक करने के लिए 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के सफल होने के साथ विश्व रिकार्ड कायम कर लिए थे । प्राचीन काल से सनातन धर्म के ऋषि, महर्षियों ,साधु – संतों द्वारा योग को अपनाया जाता रहा है। सिंधु घाटी सभ्यता में योग को प्रदर्शित करती हुई मूर्तियों के अवशेष प्राप्त हुए हैं जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि योग 10,000 वर्ष पूर्व से किया जा रहा है। ऋषि ,मुनि, साधु प्राय: परमात्मा प्राप्ति के लिए हठयोग किया करते थे।
शैव , शाक्त , वैष्णव , सौर , ब्राह्मण धर्म में योग संस्कृति थी । ऋषभदेव, महावीर स्वामी , गौतम , बुद्ध, चरक , पतंजलि , चुणक ऋषि, गौरख नाथ व नाथ परंपरा में शामिल ऋषि , मुनि , भगवान शिव , ब्रह्मा जी, विष्णु जी और नारद , हनुमान हठयोग किया करते थे । योग के जनक भगवान शिव द्वारा नृत्य क्रियाएं एवं हठयोग किया करते थे । योग का प्रयोग शरीर को सुंदर, सुडौल,स्वस्थ और रोगों से दूर रहने के लिए किया जाता है । योगीजन स्वच्छ वातावरण में रह कर वायु शुद्ध, विचार शुद्ध , खान-पान अच्छा और सेहतमंद हुआ करते थे । सतभक्ति न करने से 84 लाख योनियों की मार झेलनी पड़ती है। विश्व के 192 देशों में योग दिवस मनाया जाता है । श्रीमद्भगवद्गीता के 16 /, 23 और 24 तथा 17 / 5 - 6 अनुसार शास्त्रविधि रहित घोर तप हठ योग अहंकार और पाखण्ड से युक्त कामना, आसक्ति और बल के अभिमान से युक्त हैं। मन, आत्मा और शरीर सभी का भला होता है। पवित्र श्रीमदभगवद गीता अध्याय 4 के श्लोक 34 में गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि तत्वज्ञान को सूक्ष्म वेद में वर्णित है उस ज्ञान को तू तत्वदर्शी संत के पास जाकर समझ वह तत्वदर्शी संत तुझे उस परमात्म तत्व का ज्ञान कराएंगे उस तत्वदर्शी संत से नाम दीक्षा लेकर भक्ति करने से मोक्ष की प्राप्ति होगी। मनु स्मृति 6 / 71 , योग चूड़ामणि 109, योग दर्शन 2 / 13 , चरक संहिता , शांगधर पद्धति , तैतिरियोपनिषद , अथर्वेद , हठयोगप्रदीपिका , ऋग्वेद 10,16 ,2 , ऋषि वशिष्ठ ,पतंजलि , देव गुरु वृहस्पति , दैत्य गुरु शुक्राचार्य , आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा योग की महत्ता पर प्रकाश डाला गया है । इंसान को ठड्डियान बंध ,अनुलोम विलोम प्रणायाम ,भ्रामरी प्राणायाम, मूलाधार चक्र ,स्वाधिष्ठान चक्र ,मणिपुर चक्र ,हृदय चक्र , विशुद्धि चक्र ,गायत्री ध्यान , सूर्य नमस्कार , अनाहत चक्र ,सौष्णुम्न ,एवं ध्यानादि योग क्रियाओं से इंसान मानसिक और शारीरिक क्षमता में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाती है । अष्टांग योग संस्थान, मैसूर अष्टांग योग अनुसंधान संस्थान, कर्नाटक के मैसूर में योग केंद्र देश नहीं बल्कि विदेश में भी काफी प्रसिद्ध है। डेस्टिनेशन कृष्णमाचार्य योग संस्थान, चेन्नई कृष्णमाचार्य योग संस्थान, तमिलनाडु के चेन्नई में स्थित है। फेस्टिवल की सभी जानकारी राममणि अयंगर मेमोरियल योगा संस्थान, पुणे यह संस्थान, पुणे के एक अयंगर परिवार द्वारा संचालित है। योग संस्थान, मुंगेर बिहार योग संस्थान, भारत के प्रमुख योग संस्थान को 1964 में स्वामी सत्यानंद सरस्वती द्वारा स्थापित किया गया था। यहां संपूर्ण योग जीवन शैली प्रदान की जाती है। निकेतन आश्रम, ऋषिकेश परमार्थ निकेतन आश्रम, भारत के सबसे प्रमुख योग केंद्र उत्तराखंड के पवित्र शहर ऋषिकेश में स्थित संस्थान में 1000 कमरे हैं। प्रत्येक वर्ष मार्च में विश्व प्रसिद्ध योग उत्सव का आयोजन किया जाता है। शिवानंद वेदांत योग संस्थान, त्रिवेंद्रम शिवानंद वेदांत योग संस्थान केरल के त्रिवेंद्रम में स्वामी शिवानंद के शिष्य विष्णुदेवानंद द्वारा बनाया गया था। वेदांत संस्थान आसन स्वास्थ्य विश्राम ध्यान और आहार सहित योग्य पांच बिंदु अवधारणा की नींव है। ओडिशा , उत्तरप्रदेश , उत्तराखंड , राजस्थान , महाराष्ट्र , बंगलोर , भोपाल आदि स्थानों में योग केंद्र है ।
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