जतना दुलार देखावेला।
डांटहूं के ओतने अधिकार पावेला।।सब बात में हां में हां,
मिलावला पर बात बिगड़ जाला।
मरद मेहरारू के रिश्ता में,
एक दम खटाई पड़ जाला।।
घर कइसे चली देखल,
दुनों जन के काम हवे।
औरत सहचरी होले,
बाकिर सब जगे मरदे के नाम हवे।।
बिना दुनों चाका के,
जिनिगी के गाड़ी ना चल पाई।
एकहू चाका बिगड़ल त,
चलतो गाड़ी भस जाई।।
प्यार दुलार करते हुए,
इ गाड़ी चलावल होशियारी बा।
मरद मेहरारू का रिश्ता में,
बहुत ताल मेल रहे, इहे समझदारी बा।।
जय प्रकाश कुंवर
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