Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

धर्मनिरपेक्ष या सम्प्रदायनिरपेक्ष

धर्मनिरपेक्ष या सम्प्रदायनिरपेक्ष

सुशील कुमार मिश्र
धर्म से निरपेक्ष दुनियां आज, तक क्या हो सकी है?
क्या भविष्य में भी ये दुनियां, धर्म से निरपेक्ष होगी?
क्या धरा धारण ही करना, इस जगत को छोड़ देगी?
क्या हवा भी इस जगत में, बहते रहना छोड़ देगी?
अग्नि दाहक धर्म त्यजकर, क्या वो भी शीतल बनेंगे?
नदियां बहना छोड़ देंगी ,सूर्य तपना छोड़ देंगे?
देखना है धर्म आंखों का ,उसे वे छोड़ देंगी?
कान सुनना छोड़ देंगे,स्वाद जिह्वा छोड़ देंगी?
त्वचा भी स्पर्श की ,अनुभूति देना छोड़ देगी?
ऐ पहाड़ों तुम सभी ,अब अडिग रहना छोड़ दो।
ऐ कली तुम वाटिका में, अब तो खिलना छोड़ दो।
ब्राह्मणों तुम वेद का ,अध्ययन करना छोड़ दो।
क्षत्रियों तुम शस्त्र का ,अभ्यास करना छोड़ दो।
वैश्य हैं व्यवसाय कृषि, उद्योग में क्यों वे लगें?
सेवा शिल्प में शुद्र का ,स्थान निश्चित क्यों रहे?
सब करें मनमानी यह, निरपेक्षता की नीति है।
इसलिए ही तो समस्याएं अनेकों होती हैं।
फिर भी वैकल्पिक सही ,ये चारों वर्ण अब भी तो है।
वर्ण चारों अपने धर्मों, पे जो चलना छोड़ दें।
ये वैकल्पिक वर्ण सारे,अपने मन का ही करें।
शिक्षक कवि लेखक सभी ,जब अपने धर्म को छोड़ दें।
सीमा पे तैनात सैनिक, देश रक्षा छोड़ दें।
सबका अपना धर्म है ,धर्म पर सब चल रहे हैं।
इसलिए ये अपनी दुनियां ,अबतलक भी चल रही है।
हो गए निर्पेक्ष जिस दिन ,छोड़कर सब धर्म को
सोचिए उस दिन क्या होगा, जाएंगे किस लोक को।
कहते हैं बड़े गर्व से हम, धर्म से निरपेक्ष हैं।
धर्म से निरपेक्ष नहीं , संप्रदाय से निरपेक्ष हैं।
शब्दकोश में शब्द है एक ,बंध्यापुत्र लिखा हुआ।
पुत्र यदि है तो कहो ,नाम बंध्या क्यों हुआ।
वैसा ही कोई धर्म से, निरपेक्ष होता है नहीं ।
कोश में यह शब्द है , व्यवहार में बिल्कुल नहीं।-
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ