पुत्र का मोह
क्या माहौल है घर काकरता हूँ इसका वर्णन।
एक माँ के तीन बेटे
तीनों के तीनों निकम्में।
तीनों ही करते रहते
अपनी अपनी मनमानी।
इसलिए इस घर का
हालात बहुत बुरा है।।
एक है बिल्कुल अनपढ़
जो सुनता नहीं किसी की।
फर्जी बाड़ा करने में
ये है एक नम्बर।
अच्छे अच्छो को इसने
देखो धूल चटा दिया।
अब तक तो बचता रहा है
पर इस बार बुरा फँसा है।।
दूसरे की हम करते
आप सभी से चर्चा।
इसके हालचाल तो देखो
पहले वाले से भी बुरा है।
हरदम बनाता रहता
दुश्मन को मारने की रणनीति।
जिससे दोनों मिलकर
खूब लूट सकेंगे सबको।।
चलो बात अब करते
तीसरे वाले पुत्र की।
ये बहुत पढ़ा लिखा है
पर अनुभव में है बुद्दू।
जिसके कारण ही ये
निर्णय नहीं ले पाता।
तभी तो इन दोनों के
चक्कर में फसा पड़ा है।।
हालत माँ की देखकर
रो रहे है सभी परिजन।
पर कर नहीं सकते कुछ भी
इन तीनों के कारण।
देखो लोगों माँ को
कैसे रो रही अकेली।
और अपनी करनी का
फल भी भोग रही है।।
जय जिनेंद्रसंजय जैन "बीना" मुंबई
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