जीत की प्रीत में, अग्नि जिगीषा अंगीकार कर
निज शक्ति यथार्थ आकलन ,लक्ष्य निर्धारण अहम बिंदु ।
दृढ़ संकल्प समर्पण भाव ,
अथक श्रम चाह अंतर सिंधु ।
उचित समय सही मार्गदर्शन,
आत्म विश्वास मैत्री आगार भर ।
जीत की प्रीत में, अग्नि जिगीषा अंगीकार कर ।।
संघर्ष पथ पर अविचलित ,
साहस शौर्य संग सामना ।
अविस्मृत कर आलोचनाएं ,
उत्साह उमंग उर भावना ।
सकारात्मक सोच आत्मसात ,
सतत कर्म साधना लक्ष्य धार पर ।
जीत की प्रीत में, अग्नि जिगीषा अंगीकार कर ।।
असंभव शब्द विलोपित,
निज जीवन कोश पटल।
अग्र कदम नव जोश भर,
अदम्य हौसली उड़ान अटल ।
अंतःकरण सूर्य चंद्र प्रभा,
शीतल ओज नव श्रृंगार धर ।
जीत की प्रीत में,अग्नि जिगीषा अंगीकार कर ।।
निशि दिन सुबह शाम,
संकल्प सिद्धि आराधना ।
आभा मंडल भव्य मुस्कान ,
पथ कंटक बाधा सामना ।
अनुशासित अनूप कार्यशैली,
सफलता सदा श्रम फलन असर ।
जीत की प्रीत में, अग्नि जिगीषा अंगीकार कर ।।
महेन्द्र कुमार(स्वरचित मौलिक रचना)
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