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न्याय के लिए अकेले महिला का भटकना दुखद: गिरीन्द्र मोहन मिश्र.

न्याय के लिए अकेले महिला का भटकना दुखद: गिरीन्द्र मोहन मिश्र.

परिवार के आठ सदस्यों को एससी/एसटी एक्ट के तहत गिरफ्तार कर जेल भेजे जाने के खिलाफ़ न्याय के लिए अकेले महिला का भटकना काफी दुखद और शर्म की बात है. यह कहना है मग धर्म संसद के राष्ट्रीय अध्यक्ष गिरीन्द्र मोहन मिश्र का. उन्होंने कहा कि न्याय सबके लिए बराबर होता है. जब एफआईआर दोनों पक्ष से हुआ है तो एक पक्ष के पूरे परिवार के सदस्यों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है और दूसरे पक्ष को खुला विचरण करने के लिए छोड़ दिया गया है. जेल भेजे गए शाकद्वीपी ब्राह्मण समाज के एक मात्र महिला कनक लता आज दर दर भटक रही है और न्याय का गुहार लगा रही है.गिरीन्द्र मोहन मिश्र ने कहा कि हमें न्यायालय पर पूरा भरोसा है और न्याय जरूर मिलेगा. लेकिन पुलिस प्रशासन खासकर डीएसपी की भूमिका निराश कर रहा है.
जानकारी हो कि गया जिला के टेकारी थाना के चिरैली गाँव के निवासी श्री शिवेंद्र कुमार मिश्र का परिवार, जिनके पूर्वजों ने मांझी जाति (एससी ) के लोगों को अपनी जमीन पर अस्थायी निवास के लिए अनुमति प्रदान किया था. घटना के संदर्भ में अध्यक्ष गिरीन्द्र मोहन मिश्र बताते हैं कि संजय मांझी ने उनके खाली जमीन पर भी अवैध कब्जा कर घर बना रहा था.जब श्री मिश्र के परिवार ने उनसे जमीन खाली करने का अनुरोध किया तो तक़रीबन तीन सौ महिला पुरुष का हुजूम ने मिश्र परिवार के आठ सदस्यों को लाठी-डंडों और धारदार हथियारों से बेरहमी से पीट कर बुरी तरह से घायल कर दिया. इस हमले में संजय मांझी, करिमन मांझी , गनोरी मांझी, चरित्र मांझी, सुरेंद्र मांझी, बूटा मांझी के साथ साथ उनके परिवार के अन्य सदस्य भी थे.जब मिश्र परिवार टेकारी थाने में शिकायत दर्ज कराने गए तो उनकी एफआईआर बाद में दर्ज़ किया गया और पहले विरोधी पक्ष का एफआईआर दर्ज किया गया जबकि वो बाद में आया था.मिश्र परिवार को पहले इंज्यूरी रिपोर्ट बनबाने को कहा गया.रिपोर्ट बनबाने के बाद उन्हें वहीं बैठा दिया गया.थाना प्रभारी ने मिश्र परिवार के साथ दुर्व्यवहार भी किया. कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों के दबाव में आकर थाने के प्रभारी ने मांझी परिवार की शिकायत लिखी जिसमे बहुत सारी धाराओं के साथ एससी/ एससी एक्ट भी लगाया और मिश्र परिवार को गिरफ्तार कर लिया. आश्चर्य की बात तो यह है कि इस अवैध कब्जे के सम्बन्ध में कई बार थाना,ब्लॉक एवं अनुमंडल में आवेदन और कागज़ात जमा किये गए लेकिन कोई सुनवाई और कार्रवाई नहीं हुई.डीसीएलआर के यहाँ भी मामला दर्ज़ किया हुआ है.
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