आओ कदम बढ़ाएं, पर्यावरण संरक्षण की ओर
प्रकृति छटा अद्भुत अनुपम,रज रज मृदुलता स्पंदन ।
पावन सानिध्य प्राणी जगत,
सर्वत्र अथाह आनंद मंडन ।
संतुलन बिंदु परम महत्ता ,
सदा शुभ मंगल जीवन भोर ।
आओ कदम बढ़ाएं, पर्यावरण संरक्षण की ओर ।।
वृक्ष अनुपमा मित्रवत सम,
सुख समृद्धि अनूप भंडार ।
उरस्थ परोपकार भावना ,
संकट बिंब सहयोग आधार ।
उद्गम श्रोत दिव्य प्राण वायु,
हर पल नियंत्रित श्वांस डोर ।
आओ कदम बढ़ाएं, पर्यावरण संरक्षण की ओर ।।
वृक्षारोपण अति उत्तम काज ,
हर व्यक्ति नैतिक जिम्मेदारी ।
धर्म कर्म उत्सव त्योहार बेला,
पौधा रोपण नित्य शुभकारी ।
अभिवृद्धित उच्च तापमान हित,
वृक्षारोपण समग्र प्रयास पुरजोर ।
आओ कदम बढ़ाएं ,पर्यावरण संरक्षण की ओर ।।
भूमि पुनर्स्थापना पहल संग,
मरुस्थलीकरण अंकुश अहम ।
अकाल आपदा सहज निदान ,
जीवन अंतर नैसर्गिक पैहम।
तज अंध भौतिक प्रगति पथ,
शपथ प्रकृति अभिरक्षा छोर ।
आओ कदम बढ़ाएं, पर्यावरण संरक्षण की ओर ।।
महेन्द्र कुमार(स्वरचित मौलिक रचना)
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