तृषित हुई यादों की बदरी

तृषित हुई यादों की बदरी,

इक बौछार दे दो ना।
प्रियतम अपने आने का,
उपहार दे दो न...
विहँसते विस्मृत पलों का,
इक फुहार दे दो ना।
प्रियतम अपने आने का,
उपहार दे दो ना...
निस्पंद पड़ी इन साँसों को,
चिर स्पन्द का उपकार दे दो ना।
प्रियतम अपने आने का,
उपहार दे दो न...
सूख गये दृगों में जो,
उन आँसुओं को धार दे दो ना।
प्रियतम अपने आने का,
उपहार दे दो न...
अनगढ़ मन के आलय में,
सपनों को आकार दे दो ना।
प्रियतम अपने आने का,
उपहार दे दो न...
डॉ रीमा सिन्हा
(लखनऊ) स्वरचित


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