पहरेदार कुत्ता*

*पहरेदार कुत्ता*

पहरेदार है पहरेदारी का काम ही इसको करने दो।
भूख लगे इसे भोजन दे दो प्यास लगे इसे पानी दो।
पहरेदार का काम घर की पहरेदारी करना ही है।
इसके बदले हमें इसे दो रोटी तो देना ही है।
लेकिन ये क्या किया है तुमने इसको भीतर बुला लिया।
पहरेदारी छुड़ाके इसको घर के अंदर बिठा लिया।
घुमता था जो बाहर - बाहर घूम रहा घर के अंदर।
बैठा था जो द्वार पे पहले बैठ गया कमरे भीतर।
सब कमरों में जाने लगा ये बैठ गया है पलंग चढ़कर।
हद हो गई जब देखा बैठा इसको पूजा घर भीतर।
इसकी मुस्तैदी हो गई कम बन गया ये सुविधाभोगी।
दौड़ धूप सब बंद हो गया बनने लगा यह भी रोगी।
ये डरपोक बन गया बहुत ही तेरी सुरक्षा कौन करे?
चोर उचक्कों से मुकाबला अब बोलो ये कैसे करे?
सतयुग में था घर से बाहर त्रेता में घर से बाहर
द्वापर में भी घर से बाहर क्यों कलियुग में घर के भीतर?
हद हो गई जब कसम खाते देखा मैं किसीको कुत्ते की।
गौ का कसम खाते थे पहले अब खाते हैं कुत्ते की।
वफादार तो पहले भी था वफादारी क्या गई है बढ़।
घर के अंदर बेड पे सोकर घर में घुमकर इधर उधर।
हद तो इससे भी ज्यादा हुई सुना है मैंने सुनो इधर।
पति से भी ज्यादा प्यारा लगता है पत्नी ने कहा ब्रदर।
करें धर्म की बात तो सुनों कुत्ते जिस घर रहते हैं।
उस घर के तो पितर सदा नाराज हुआ ही करते हैं।
दिया हुआ तर्पण का पानी पिंड ग्रहण नहीं करते हैं।
पितर जिससे खुश हुए नहीं फिर देव कहो कैसे खुश हों।
कैसे तुमसे ये कहदें मेरे बच्चे तुमसब खुशी रहो।
जिसका जो स्थान सुनिश्चित उसको वहीं पे रहने दो।
कुत्ता पहरेदार है बस उसे पहरेदारी करने दो।
ज्यादा प्यार उमड़े इसपर तो दो रोटी इसे ज्यादा दो।
पड़ जाए बीमार अगर तो तुम इलाज भी करवा दो।
लेकिन इसको घर के अंदर रखना अच्छी बात नहीं।
पितर देव हों जाएं रुष्ट ऐसा करना तुम काज नहीं।
राम न पाले घर में कुत्ते कृष्ण न पाले थे कुत्ते।
हम-सब देखो उन्हीं के वंशज पाल रहे घर में कुत्ते।
कुत्ते से नफ़रत नहीं मुझको देखभाल उसका भी हो।
पहरेदारी करें घरों की पहरेदारी अच्छी हो।
चोर उचक्के कभी भी घर के अंदर न घुसने पावे।
इनको देखके चोर उचक्के डर के मारे भग जाएं।
-सुशील कुमार मिश्र

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