धर्म क्या है
विश्वासों का समंदर,आस्थाओं का आसमान,
नीति और कर्म का संगम,
यही है धर्म की पहचान।
प्रेम और करुणा की ज्योति,
सत्य और न्याय का मार्ग,
आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का,
यही है धर्म का सार।
कर्मों का हिसाब रखने वाला,
पापों से मुक्ति दिलाने वाला,
अच्छे और बुरे का ज्ञान देने वाला,
यही है धर्म का आधार।
विभिन्नता में एकता का प्रतीक,
समानता और बंधुत्व का सन्देश,
सभी जीवों के प्रति दया का भाव,
यही है धर्म का संदेश।
धर्म एक ऐसा दर्पण है,
जिसमें खुद का प्रतिबिम्ब दिखता है,
अच्छे कर्मों से जगमगाता है,
बुरे कर्मों से दागदार होता है।
धर्म को ना बनाएं अंधविश्वास,
ना ही करें इसका दुरुपयोग,
इसे बनाएं जीवन का आधार,
इसे बनाएं प्रेम का औजार।
धर्म से ही जीवन में शांति,
धर्म से ही जीवन में खुशी,
धर्म से ही जीवन में उन्नति,
धर्म से ही जीवन में सद्गति।
. स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित (कमल की कलम से)
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