कहीं दर्द जब भर जायेगा,

कहीं दर्द जब भर जायेगा,

(अर्चना कृष्ण श्रीवास्तव )
कहीं दर्द जब भर जायेगा,
हद से हृदय गुजर जायेगा ।
लाख रोकना चाहे वक्त,
मन जो चाहे कर जायेगा !
ताने-बाने तोड समय का,
धागे सारे तोड विनय का,
जीवन के इन अनुबंधों में ,
नव पथ काट गुजर जायेगा ।
कंटक चाहें लाख चुभें पर, तूफानों से हो रोज लडाई ।
पत्थर के ठोकर से लडना-
ही जीवन है , या तरुणाई ।
चक्रवात में फँसा आदमीं,
तूफाँ और लहर से खेले ।
एक पल चूक गयीं सासें तो
फिर अस्तित्व बिखर जायेगा ।
अपना दर्द कटोरे लेकर ,
घडा दर्द से भरने वालों !
अस्ताचल पर खडा सुर्य -
पल-दो-पल बाद निखर जायेगा ।====(अर्चना)
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