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एक चुटकी सिंदूर से,दांपत्य खुशियां भरपूर

एक चुटकी सिंदूर से,दांपत्य खुशियां भरपूर

हिंदू धर्म परिणय व्यंजना,
हर नारी मनमोहक श्रृंगार ।
मांग अंतर सिंदूर शोभा,
सुखद जीवन स्वप्न साकार ।
प्राण प्रिय दीर्घ वय कामना,
अलंकृत पद सम कोहिनूर ।
एक चुटकी सिंदूर से,दांपत्य खुशियां भरपूर ।।


वैदिक कालिन दिव्य परंपरा,
प्रेम भक्ति अथाह समाहित ।
पावन दृष्टांत मां पार्वती सीता ,
दैनिक प्रयोग प्रणय मोहित।
शिव राघव सदा विजय भव,
कदापि न ओझल नयनन दूर ।
एक चुटकी सिंदूर से,दांपत्य खुशियां भरपूर ।।


लाल भखरा सिंदूर द्वि वर्ण,
महिला अधिकत्तर प्रयुक्त लाल ।
लाल अंतर नेह ओज अनुपमा ,
आराधना पट केसरिया कमाल ।
वनिता सशक्ति परम परिभाषा ,
चाह वल्लभ शिष्ट बलिष्ठ व शूर ।
एक चुटकी सिंदूर से,दांपत्य खुशियां भरपूर ।।


शुभता स्पंदन भाल बिंदु ,
रूप रंग सौंदर्य अप्रतिम निखार ।
अनिद्रा सिर दर्द तीव्र विलोप,
बिंब स्वाभिमान सुरक्षा निसार ।
सौभाग्य समृद्धि पुनीत सानिध्य,
अंग प्रत्यंग अभिदर्शित अनन्य नूर ।
एक चुटकी सिंदूर से,दांपत्य खुशियां भरपूर ।।


महेन्द्र कुमार
(स्वरचित मौलिक रचना)
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