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"सदैव प्रार्थना करें: प्रेरणा का दीप"

"सदैव प्रार्थना करें: प्रेरणा का दीप"

पंकज शर्मा
"सदैव यह प्रार्थना करें कि हमें ऐसे चक्षु मिलें जो लोगों में अच्छाई को देख सकें, एक ऐसा हृदय जो किसी भी अमंगलकारक को क्षमा कर सकने में सक्षम हो, एक ऐसा मस्तिष्क जो अनिष्ट भूल जाए, और एक आत्मा जो ईश्वर में अपना विश्वास कभी न खोए।"


यह उद्धरण जीवन के सार को समाहित करता है। यह हमें प्रेरणा देता है कि हम सदैव सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखें, क्षमाशील बनें, अतीत के बोझ को भूलकर आगे बढ़ें, और ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास बनाए रखें।


आँखें जो अच्छाई देखती हैं :


हम अक्सर लोगों की गलतियों और कमियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। यह दृष्टिकोण हमें नकारात्मकता और निराशा की ओर ले जाता है। उद्धरण हमें प्रेरित करता है कि हम लोगों में अच्छाई ढूंढने का प्रयास करें। हर व्यक्ति में कुछ न कुछ सकारात्मक होता है, चाहे वह कितना भी गलत क्यों न हो। यदि हम अच्छाई पर ध्यान केंद्रित करेंगे, तो हमारे जीवन में प्रेम, करुणा और स्वीकृति बढ़ेगी।


क्षमाशील हृदय :


क्रोध, द्वेष और प्रतिशोध की भावनाएं हमें जकड़ लेती हैं और हमारे जीवन में कड़वाहट लाती हैं। उद्धरण हमें प्रेरित करता है कि हम क्षमा करना सीखें। क्षमा दूसरों के लिए नहीं, बल्कि खुद के लिए आवश्यक है। क्षमा करने से हम अतीत के बोझ से मुक्त होते हैं और मन को शांति मिलती है।


भूलने वाला मस्तिष्क :


अतीत में हुई गलतियों और अप्रिय घटनाओं को बार-बार याद करने से हम पीड़ित होते हैं। उद्धरण हमें प्रेरित करता है कि हम अतीत को भूलकर आगे बढ़ना सीखें। जो बीत गया है उसे बदला नहीं जा सकता। अतीत के प्रति लिप्त रहने से हम वर्तमान का आनंद नहीं ले पाते और भविष्य की ओर बढ़ने में असमर्थ होते हैं।


ईश्वर में अटूट विश्वास :


ईश्वर पर विश्वास हमें जीवन में शक्ति और दिशा प्रदान करता है। उद्धरण हमें प्रेरित करता है कि हम सदैव ईश्वर पर विश्वास बनाए रखें, चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों। ईश्वर हमारी हर पीड़ा को समझते हैं और हमारी रक्षा करते हैं।


यह उद्धरण हमें जीवन जीने का एक आदर्श तरीका प्रदान करता है। यदि हम इन सद्गुणों को अपना लेंगे, तो हमारा जीवन निश्चित रूप से खुशहाल और सफल होगा।


. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार) 
 पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
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